PM मोदी ने देश की तस्वीर को बदलने के लिए पिछले साढ़े चार सालों में सतत प्रयास किए हैं। इन्हीं प्रयासों में एक नाम ‘सौभाग्य योजना’ का भी है। इस योजना के अंतर्गत हर अंधेरे घर को बिजली पहुँचाकर रौशन करने का लक्ष्य साधा गया था। इसमें ग़रीबों को 5 एलईडी बल्ब, 1 पंखा और एक बैटरी देने की योजना भी थी।
साल 2017 में 25 सितंबर से इस योजना को शुरू किया गया था, इसकी अवधि 31 मार्च 2019 तक की तय की गई थी। इस योजना की अंतिम तिथि अब क़रीब है। ऐसे में जानना ज़रूरी है कि ये कार्य अपने लक्ष्य के कितने निकट पहुँचा है।
सौभाग्य योजना की वेबसाइट के अनुसार, अब सिर्फ़ 28,594 घर यानी 0.01 प्रतिशत ही ऐसे बाक़ी हैं जिनका विद्युतिकरण अभी तक नहीं हुआ है। अनुमान लगाया है कि महीने के आख़िर तक इन बचे हुए घरों में भी रौशनी पहुँचा दी जाएगी।
सरकार की वेबसाइट पर मौजूद आँकड़ों में यह दर्शाया गया है कि राजस्थान के उदयपुर ज़िले में केवल 8,460 ही ऐसे घर बचे हैं जिनका विद्युतीकरण किया जाना है। इसी तरह छत्तीसगढ़ में बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा और सुकमा में क़रीब 20,134 लोगों के घरों तक बिजली पहुँचाना बाक़ी है।
इस योजना का लक्ष्य था कि देश के 2.5 करोड़ घरों तक बिजली को पहुँचाया जाए। जिसमें से अब सिर्फ़ 28,594 घर बाक़ी बचे हैं। ये एक बड़ी कामयाबी है, जिसे आलोचकों द्वारा नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। इस योजना पर आधिकारिक बयान भी हैं कि अभी तक 2.48 करोड़ से अधिक घरों में काम किया गया है और अगले 10-12 दिनों में लक्ष्य पूरा होने की उम्मीद है।