हिमाचल में धर्म संसद को रोकने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कपिल सिब्बल ने की थी माँग: हरिद्वार वाले पर उत्तराखंड सरकार से पूछा – क्या कार्रवाई हुई?

सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून पर तत्काल लगाई रोक (प्रतीकात्मक चित्र)

सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में प्रस्तावित ‘धर्म संसद’ कार्यक्रम पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वो स्थानीय पुलिस-प्रशासन से संपर्क कर सकते हैं। बता दें कि 17 दिसम्बर, 2021 को उत्तराखंड के हरिद्वार में हुए ‘धर्म संसद’ कार्यक्रम के दौरान महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती और जितेंद्र नारायण त्यागी (पहले वसीम रिजवी) पर भड़काऊ और घृणा भरे भाषण देने के आरोप लगे थे।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड कि सरकार से रिपोर्ट माँगी है कि ‘हेट स्पीच’ के इस मामले में अब तक क्या-क्या कार्रवाई की गई। 19 दिसम्बर, 2021 को ‘हिंदू युवा वाहिनी’ ने दिल्ली में इसी तरह का कार्यक्रम आयोजित किया था। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन कार्यक्रमों में एक खास समुदाय के विरुद्ध युद्ध छेड़ने के लिए उकसाया गया था। लेकिन, अदालत ने याचिकाकर्ताओं की माँग नहीं मानी और इस संबंध में हिमाचल प्रदेश की सरकार को कोई आदेश जारी नहीं किया।

उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हरिद्वार ‘धर्म संसद’ में ‘हेट स्पीच’ आरोपितों के खिलाफ 4 FIR दर्ज की जा चुकी है। साथ ही इस मामले में 3 आरोप-पत्र भी दाखिल किए गए हैं। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि महीनों बीत जाने के बावजूद इस मामले में कोई गिरफ़्तारी क्यों नहीं हुई है। याचिकाकर्ताओं में पूर्व हाईकोर्ट जज अंजना प्रकाश और पत्रकार कुर्बान अली शामिल थे। कॉन्ग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने उनकी तरफ से अदालत में जिरह की।

एएम खनविलकर और एएस ओका की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि ये सिर्फ मामूली ‘हेट स्पीच’ ही नहीं है, बल्कि पूरे मुस्लिम समुदाय के नरसंहार के लिए उकसाए जाने का मामला है। हिमाचल प्रदेश में रविवार (17 अप्रैल, 2022) को ये कार्यक्रम होने वाला है। हिमाचल प्रदेश सरकार के वकील को इस याचिका की एक कॉपी मुहैया कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। कपिल सिब्बल ने कहा कि हम उस दौर में हैं, जब ‘सत्यमेव जयते’ नारे का मतलब बदल दिया गया है। 22 अप्रैल को अगली सुनवाई से पहले हिमाचल प्रदेश सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने को कहा गया है

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया