‘द केरल स्टोरी’ पर ममता बनर्जी ने मुँह की खाई: सुप्रीम कोर्ट ने बैन हटाया, तमिलनाडु सरकार को भी सुरक्षा इंतजाम के दिए निर्देश

स्टालिन और ममता बनर्जी (साभार: वनइंडिया)

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (18 मई 2023) को लव जिहाद और धर्मांतरण के बाद लड़कियों को आतंकी गतिविधियों में धकेलने पर बनी फिल्म द केरल स्टोरी (The Kerala Story) पर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध पर रोक लगा दी। इतना ही नहीं, कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के उस बयान को भी सुना, जिसमें कहा गया कि तमिलनाडु में फिल्म के प्रदर्शन पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोई प्रतिबंध नहीं है।

तमिलनाडु सरकार के एडवोकेट जनरल के बयान को रिकॉर्ड करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को आदेश दिया कि जिन सिनेमाघरों में यह फिल्म दिखाई जा रही है, उसे और उसमें फिल्म देखने आने वाले लोगों को वह सुरक्षा मुहैया कराए।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी कहा कि फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ में उचित डिस्क्लेमर होना चाहिए। फिल्म निर्माताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि 20 मई की शाम 5 बजे तक डिस्क्लेमर जोड़ा जाएगा।

हरीश साल्वे ने कहा कि फिल्म में डिस्क्लेमर – “इस बात को साबित करने के लिए कोई प्रामाणिक डेटा उपलब्ध नहीं है कि धर्मांतरण के 32,000 या कोई अन्य आँकड़ा हैं” और “फिल्म इस मुद्दे के काल्पनिक संस्करण का प्रतिनिधित्व करती है” – जोड़ा जाएगा।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जीबी परदीवाला की बेंच ने इस मामले को जुलाई 2023 में होने वाली अगली सुनवाई तक के लिए टाल दिया है। अंतरिम आदेश में पीठ ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार का निर्णय प्रथम दृष्टया व्यापकता से ग्रस्त है।

इससे पहले बुधवार (17 मई 2023) को सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल की ओर पेश अधिवक्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में तर्क दिया कि केरल की इस कहानी में अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया है और यह फिल्म हेरफेर किए गए तथ्यों पर आधारित है। इससे राज्य में सांप्रदायिक वैमनस्य और कानून व्यवस्था से संबंधित स्थिति खड़ी हो सकती है।

इस फिल्म के निर्माता ने राज्य में इस फिल्म को ना दिखाने के सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। अपनी याचिका में निर्माता ने पश्चिम बंगाल सिनेमा (विनियमन) अधिनियम, 1954 की धारा 6 (1) की संवैधानिकता को भी चुनौती दी है, जिसके तहत पश्चिम बंगाल सरकार ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था।

इस पर राज्य सरकार ने कहा कि फिल्म पर प्रतिबंध खुफिया सूचनाओं पर आधारित एक नीतिगत निर्णय है। इससे याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ है। याचिकाकर्ता के वित्तीय नुकसान को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं बताया जा सकता है। इसके अलावा, राज्य सरकार ने यह भी तर्क दिया कि पश्चिम बंगाल सिनेमा (विनियमन) अधिनियम के रूप में संवैधानिकता की एक धारणा है, जो उन फिल्म प्रदर्शनियों के लिए एक अपवाद बनाती है, जो शांति भंग कर सकती है।

वहीं, तमिलनाडु सरकार ने बुधवार को दिए गए अपने हलफनामे में कहा था कि राज्य में ‘द केरल स्टोरी’ की स्क्रीनिंग पर कोई बैन नहीं लगाया गया है। एमके स्टालिन सरकार ने निर्माताओं के दावों का खंडन करते हुए कहा कि ये दलील गलत है कि तमिलनाडु में फिल्म दिखाने पर रोक लगाई गई है।

तमिलनाडु ने कहा था कि ये फिल्म 5 मई 2023 को 19 मल्टीप्लेक्स में रिलीज की गई, लेकिन फिल्म में जाने-पहचाने कलाकारों के न होने, कलाकारों के खराब प्रदर्शन और दर्शकों की संख्या में कमी के कारण मल्टीप्लेक्स मालिकों ने खुद ही 7 मई 2023 को फिल्म की स्क्रीनिंग बंद कर दी थी। उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माताओं ने जानबूझकर झूठा बयान दिया है कि राज्य सरकार ने फिल्म की स्क्रीनिंग पर बैन लगाया है।

हलफनामे में आगे दावा किया गया था कि राज्य में फिल्म की स्क्रीनिंग करने वाले सभी सिनेमाघरों के लिए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए थे। रिलीज से पहले शहरों में जिला पुलिस अधीक्षकों और पुलिस आयुक्तों को राज्य की कानून व्यवस्था पर नजर रखने के लिए अलर्ट जारी किया था। 25 डीएसपी सहित 965 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को फिल्म दिखाने वाले 21 सिनेमाघरों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया