Saturday, July 27, 2024
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‘The Kerala Story हेरफेर वाले तथ्यों पर आधारित, इससे राज्य में हिंसा की आशंका’: सुप्रीम कोर्ट में बंगाल सरकार ने बैन को ठहराया जायज

पश्चिम बंगाल की तरह ही तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार ने भी इस फिल्म को राज्य में दिखाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। फिल्ममेकर्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिस पर मंगलवार (16 मई 2023) को सुनवाई हुई। तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कहा है कि राज्य में ‘द केरल स्टोरी’ की स्क्रीनिंग पर कोई बैन नहीं लगाया गया है।

लव जिहाद और धर्मांतरण पर आधारित फिल्म ‘द केरल स्टोरी (The Kerala Story)’ को लेकर विवाद जारी है। इस फिल्म को पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार ने राज्य में बैन कर रखा है। इसको लेकर यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है। सर्वोच्च न्यायालय में राज्य सरकार ने तर्क दिया कि केरल की इस कहानी में अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया है और यह फिल्म हेरफेर किए गए तथ्यों पर आधारित है। इससे राज्य में सांप्रदायिक वैमनस्य और कानून व्यवस्था से संबंधित स्थिति खड़ी हो सकती है।

ममता बनर्जी की सरकार ने जवाबी हलफनामे में अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा, “यह फिल्म हेरफेर किए गए तथ्यों पर आधारित है और इसमें कई दृश्यों में अभद्र भाषा है, जो सांप्रदायिक भावनाओं को आहत कर सकती है और समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा कर सकती है। खुफिया सूचनाओं से पता चला है कि इससे कानून और व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होगी।”

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार (12 मई 2023) को मौखिक रूप से टिप्पणी की थी कि यह फिल्म देश के बाकी हिस्सों में रिलीज हो चुकी है और पश्चिम बंगाल अलग नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में पश्चिम बंगाल की सरकार से जवाब माँगा है। इसके बाद राज्य सरकार ने अपना जवाब पेश किया था। इस मामले की सुनवाई कल गुरुवार (18 मई 2023) को भी जारी रहेगी।

इस फिल्म के निर्माता ने राज्य में इस फिल्म को ना दिखाने के सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। अपनी याचिका में निर्माता ने पश्चिम बंगाल सिनेमा (विनियमन) अधिनियम, 1954 की धारा 6 (1) की संवैधानिकता को भी चुनौती दी है, जिसके तहत पश्चिम बंगाल सरकार ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था।

इस पर राज्य सरकार ने कहा कि फिल्म पर प्रतिबंध खुफिया सूचनाओं पर आधारित एक नीतिगत निर्णय है। इससे याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ है। याचिकाकर्ता के वित्तीय नुकसान को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं बताया जा सकता है। इसके अलावा, राज्य सरकार ने यह भी तर्क दिया कि पश्चिम बंगाल सिनेमा (विनियमन) अधिनियम के रूप में संवैधानिकता की एक धारणा है, जो उन फिल्म प्रदर्शनियों के लिए एक अपवाद बनाती है, जो शांति भंग कर सकती है।

बताते चलें कि पश्चिम बंगाल की तरह ही तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार ने भी इस फिल्म को राज्य में दिखाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। फिल्ममेकर्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिस पर मंगलवार (16 मई 2023) को सुनवाई हुई। तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कहा है कि राज्य में ‘द केरल स्टोरी’ की स्क्रीनिंग पर कोई बैन नहीं लगाया गया है। 

तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए अपने हलफनामे में कहा था कि यह फिल्म 5 मई 2023 को 19 मल्टीप्लेक्स में रिलीज की गई थी, लेकिन फिल्म में जाने-पहचाने कलाकारों के न होने, कलाकारों के खराब प्रदर्शन और दर्शकों की संख्या में कमी के कारण मल्टीप्लेक्स मालिकों ने खुद ही 7 मई 2023 को फिल्म की स्क्रीनिंग बंद कर दी थी।

हलफनामे में आगे दावा किया गया है कि राज्य में फिल्म की स्क्रीनिंग करने वाले सभी सिनेमाघरों के लिए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए थे। रिलीज से पहले शहरों में जिला पुलिस अधीक्षकों और पुलिस आयुक्तों को राज्य की कानून व्यवस्था पर नजर रखने के लिए अलर्ट जारी किया था। 25 डीएसपी सहित 965 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को फिल्म दिखाने वाले 21 सिनेमाघरों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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