सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार (11 मई 2024) को 2020 के हिंदू विरोधी दंगों के मामले में सलीम मलिक उर्फ मुन्ना की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को खारिज कर दिया। एसएलपी भारत के संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत उपलब्ध एक उपाय है, जो भारत के सुप्रीम कोर्ट को किसी भी अदालत या न्यायाधिकरण द्वारा पारित या दिए गए किसी भी मामले में किसी भी फैसले या आदेश के खिलाफ अपील करने की अनुमति (अनुमति) देने की विशेष शक्तियाँ प्रदान करता है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने 22 अप्रैल 2024 को सलीम मलिक को जमानत देने से इन्कार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि मलिक उन बैठकों में शामिल हुए जहाँ हिंसा और दिल्ली को जलाने के मसलों पर खुलकर चर्चा की गई। अदालत ने रेखांकित किया कि एक लोकतांत्रिक राष्ट्र में यह स्वीकार्य नहीं है। जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ ने 22 अप्रैल के आदेश में कहा था कि बैठक में वित्तपोषण, हथियारों की व्यवस्था, लोगों की हत्या के लिए पेट्रोल बम की खरीद और संपत्ति की आगजनी और क्षेत्र में लगे सीसीटीवी को नष्ट करने पर भी चर्चा हुई।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, मौजूदा मामले में रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री है जो स्पष्ट रूप से इंगित करती है कि अपीलकर्ता सह-साजिशकर्ता था और उसने अपराध किया है। इसके लिए उसके खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया है। उच्च न्यायालय ने कहा, मामले के गुण-दोष पर अभिव्यक्ति और आरोपों पर फैसला करते समय निचली अदालत किसी भी तरह से ऊपर की गई किसी भी टिप्पणी से प्रभावित नहीं होगी। मलिक को 25 जून 2020 को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।
इस मामले में उसने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन दाखिल की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सलीम मलिक को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि “अपीलकर्ता उन प्रदर्शनकारियों में से एक था जिसने वहाँ मौजूद लोगों को हिंसा में शामिल होने के लिए उकसाया था और परिणामस्वरूप, सरकारी और गैर-सरकारी पुलिस कर्मियों पर लाठी, डंडों आदि से पथराव और हमला हुआ था। संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुँचाया गया।”
आधी रात को हुई एक गुप्त बैठक के दौरान, सलीम मलिक ने कथित तौर पर सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) के खिलाफ प्रदर्शन को तेज करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दिल्ली यात्रा के दौरान ट्रैफिक रोकने जैसी प्लानिंग की थी। सलीम खान, सलमान सिद्दीकी, डीएस बिंद्रा और सलीम मलिक विरोध आयोजक थे, जिन्हें रैलियों के प्रबंधन के लिए ताहिर हुसैन से फंडिंग मिलती थी।
बता दें कि सलीम मलिक, उमर खालिद और कई अन्य को फरवरी 2020 में हुए दंगों का “मास्टरमाइंड” नामित किया गया था। इन दंगों में 700 से अधिक लोग घायल हुए थे और 53 लोगों की मौत हुई थी, और उन पर यूएपीए अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत आरोप लगाए गए थे।
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