दानिश सिद्दीकी पर लिबरल पाखंड को मिला ट्विटर का साथ, विरोधियों के ट्वीट को अपमानजनक’ और ‘उत्पीड़न’ बता, कर रहा है सेंसर

ट्विटर ने लिबरलों के पाखंड को उजागर करने वाले ट्वीट को किया सेंसर

ट्विटर अब राजनीतिक राय (political opinion) को सेंसर करने के नए तरीके खोज रहा है। पक्षपातपूर्ण सेंसरशिप को प्लेटफॉर्म का सामान्य मानक बनाने के बाद, ट्विटर ने उन ट्वीट्स को सेंसर करने का फैसला किया है जो लिबरल पाखंड को उजागर करते हैं। ताजा उदाहरण मृत रॉयटर्स फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की तस्वीर को लेकर है।

16 जुलाई को ट्विटर यूजर योशा (यूजरनेम  @BlackDrug) ने अपने अकाउंट पर एक बातचीत का स्क्रीनशॉट शेयर किया, जिसमें उन्होंने ‘लिबरल बुद्धिजीवियों’ के पाखंड की ओर इशारा किया। उन्होंने द इंडिपेंडेंट के पत्रकार स्तुति मिश्रा के ट्वीट का इस्तेमाल यह बताने के लिए किया कि कैसे लिबरलों ने दावा किया कि सिद्दीकी की लाश की तस्वीर भावनाओं को आहत करेगी, लेकिन राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए अंतिम संस्कार की तस्वीरों का उपयोग करने से पहले सोचने की जरूरत नहीं है।

योशा ने अपने ट्वीट में इन दो स्क्रीनशॉट का इस्तेमाल किया था:

स्तुति मिश्रा ने अपने ट्वीट में चिताओं की तस्वीरों को शेयर किया था
स्तुति मिश्रा का कहना है कि दानिश सिद्दीकी की तस्वीर अपमानजनक है

शुरुआत में, स्क्रीनशॉट को ‘संवेदनशील मीडिया’ का लेबल दिया गया था।

सेंसर किया गया ट्वीट

लेकिन 18 जुलाई को योशा को ट्विटर की तरफ से सूचित किया गया कि उनके ट्वीट ने ‘दुर्व्यवहार और उत्पीड़न’ नियमों का उल्लंघन किया है। ट्विटर के अनुसार, योशा ‘लक्षित उत्पीड़न’ (targeted harassment) में शामिल थीं। नतीजतन, उसका अकाउंट 12 घंटे के लिए लॉक कर दिया गया।

योशा का अकाउंट 12 घंटे के लिए लॉक कर दिया गया है

प्लेटफॉर्म लोगों को उन ट्वीट्स को हटाने के लिए मजबूर कर रहा है जिनमें उन्होंने योशा द्वारा किए गए उपरोक्त ट्वीट को उद्धृत किया था। इसके लिए 18 जुलाई को पत्रकार के अकाउंट को लॉक कर दिया गया।

जैसा कि देखा जा सकता है, ट्वीट में कोई तस्वीर नहीं थी और इसमें केवल चार शब्द थे। ट्विटर ने दावा किया कि एक ट्वीट जिसमें कोई तस्वीर नहीं थी, ‘किसी व्यक्ति की मृत्यु के क्षण को दर्शाने वाले मीडिया पोस्ट करने के खिलाफ नियमों’ का उल्लंघन करता है। हो सकता है कि उसने यह ट्वीट योशा द्वारा ट्वीट किए गए तस्वीरों को लेकर किया हो लेकिन यह उनके ट्वीट को ‘दुर्व्यवहार और उत्पीड़न’ नियमों का उल्लंघन बता कर अकाउंट को लॉक किया गया था, न कि मृत शरीर की तस्वीरों से संबंधित नियमों को लेकर।

इस पत्रकार के अकाउंट पर जिन नियमों का उल्लंघन करने का दावा किया गया था, वे विचित्र हैं और 2019 से मौजूद हैं। नियमों के अनुसार, प्लेटफॉर्म उस मीडिया को हटा सकता जो ‘मृतक की पीड़ा का आनंद लेता है’, हँसता है या मृतक का मजाक उड़ाता है’।

साभार: Twitter

लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि एक ट्वीट जिसमें कोई तस्वीर नहीं है, वह विशेष रूप से तस्वीर वाले ट्वीट्स के नियम का उल्लंघन कैसे करेगा। यह उदाहरण ट्विटर सेंसरशिप में बड़े प्रसार का प्रतीक है। प्लेटफॉर्म ने मूल रूप से लिबरल पाखंड को उजागर करने वाले ट्वीट्स को सेंसर करने का फैसला किया है। अब, प्लेटफॉर्म न केवल लिबरलों को उनके प्रोपेगेंडा के लिए व्यापक पहुँच हासिल करने में सहायता करता है, बल्कि वे उन लोगों को चुप भी करा देता है जो उनके एजेंडे को उजागर करता है। यह राजनीतिक सेंसरशिप है।

उल्लेखनीय है कि दानिश सिद्दीकी को तालिबान ने अफगानिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान मार गिराया था। उनकी मृत्यु के बाद उनके शव की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर प्रसारित होने लगी। पत्रकार चाहते थे कि तस्वीर को प्रसारित न करें, क्योंकि यह स्पष्ट रूप से अपमानजनक था।

ये वही लोग थे जिन्होंने राजनीतिक रोटियाँ सेंकने के लिए चिताओं की तस्वीरों को शेयर किया था। ऐसा प्रतीत होता है कि ट्विटर ने उनके पाखंड को उजागर करने वालों को सेंसर करके उनके हितों का ध्यान रखा है। यह इस तथ्य को और भी स्पष्ट करता है कि उनके यहाँ नियम नाम की कोई चीज नहीं है, क्योंकि वे व्यक्ति की राजनीतिक प्राथमिकताओं के आधार पर चुनिंदा रूप से लागू होते हैं। यह एक खतरनाक परिपाटी है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया