बंगाल: 20 दिनों से नहीं मिल रहा खाना, 400 से ज्यादा परिवारों ने किया हाइवे ब्लॉक

भूख से बेहाल परिवार सड़क पर उतरे

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि 3 मई तक बढ़ाए गए लॉकडाउन के कारण सबसे ज्यादा परेशानी देश के गरीब वर्ग को झेलनी पड़ रही हैं। ऐसे में राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वो अपने राज्य में इस तबके का विशेष ख्याल रखें। ज्यादातर राज्य ऐसा कर भी रहे हैं। मगर, ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल से खबर है कि वहाँ मुर्शिदाबाद के डोमकल इलाके में सैकड़ों लोगों को पिछले 20 दिन से खाना नहीं मिला है। मजबूरन बुधवार (अप्रैल 15, 2020) को करीब 3 घंटे के लिए उन्होंने राज्य का हाइवे जाम किए रखा। इस दौरान इस प्रोटेस्ट में 400 से ज्यादा परिवारों ने भाग लिया। बाद में जब स्थानीय प्रशासन ने हस्तक्षेप किया, तब जाकर यह मामला शांत हुआ।

जानकारी के मुताबिक स्थानीय प्रशासन के हस्तक्षेप करने पर पदर्शन खत्म किया। डोमकल नगर पालिका के अध्यक्ष ने मौके पर पहुँचकर इस बात को स्वीकार किया कि राशन डीलरों ने गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) खंड में खाद्य आपूर्ति का कोटा नहीं बढ़ाया था। प्रत्येक राशन कार्ड धारक को एक महीने में 5 किलो चावल और 5 किलो आटा मिलना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले मीडिया से बात करते हुए राज्य के खाद्य और आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रियो मलिक ने भी जनता को आश्वस्त किया था कि बंगाल में चावल की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा था,”हमारे पास स्टॉक में 9.45 लाख मीट्रिक टन और अन्य 4 लाख मीट्रिक टन चावल मिलों में स्टोर हैं। हमारे पास अगस्त महीने तक लोगों को खिलाने के लिए पर्याप्त चावल है। हमारी सरकार भारतीय खाद्य निगम से चावल नहीं खरीदती है। हम सीधे किसानों से खरीदते हैं।” मंत्री ने ये भी कहा था कि प्रशासन ने कुछ राशन डीलरों पर दुकानें नहीं खोलने या लोगों को पूरा कोटा नहीं देने के कारण कार्रवाई भी की है। 

बता दें, बावजूद इसके डोमकल नगर पालिका के वार्ड नंबर 10 के निवासी महादेव दास ने शिकायत की। उन्होंने, “हमारे क्षेत्र के राशन डीलर दुलाल साहा ने पिछले दो सप्ताह में मुट्ठी भर परिवारों को एक किलो चावल दिया। यह 4-5 सदस्यों के परिवार को खिलाने के लिए पर्याप्त नहीं है।” उन्होंने कहा कि क्षेत्र के अधिकांश लोग पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं। लॉकडाउन के कारण हमारी आजीविका छीन ली गई है। हमें बताया गया था कि केंद्र और राज्य सरकारें गरीबों को मुफ्त भोजन दे रही हैं। 

वहीं सुबोध दास कहते हैं, “सरकार हमें काम करने की अनुमति नहीं दे रही है। क्या अब हम भूख से मरने वाले हैं? हम जानते हैं कि हमने आंदोलन के लिए इतने सारे लोगों को इकट्ठा करके अपने जीवन को जोखिम में डाला, लेकिन कोई विकल्प नहीं था।”

खबरों के अनुसार, प्रदर्शनस्थल पर टीएमसी नेता जफिकुल इस्लाम के पहुँचने के बाद रास्ता खाली हुआ। मीडिया से बात करते हुए इस्लाम ने बताया कि डोमकल में 1.57 लाख से अधिक लोग रहते हैं और उनमें से 69 प्रतिशत लोग बीपीएल श्रेणी के हैं। हमें गरीब लोगों में वितरण के लिए सरकार से केवल 42 क्विंटल चावल प्राप्त हुआ। इस्लाम ने भी कहा कि उन्हें मालूम पड़ा है कि स्थानीय राशन डीलर लोगों को उनके कोटे का चावल नहीं दे रहे। इसलिए इनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई होगी।

ये भी पढ़ें: कोरोना से जंग लड़ रहे डॉक्टरों को ममता दीदी ने नहीं दी जरूरी किट, मिले बेड शीट के बने मास्क और रेन…

संतोषजनक जवाब न मिलने पर डॉक्टरों ने एक बार फिर से पीपीई किट के लिए दबाव डाला। इसके जवाब में उन्होंने डॉक्टरों को ड्यूटी पर आने के लिए मना कर दिया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया