विरोध यात्रा के दौरान महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा ने मिलावट के आरोपितों पर उचित कार्रवाई की माँग की। साथ ही कहा कि अगर सुनवाई नहीं हुई तो वो अनशन करेंगी। इस विरोध प्रदर्शन में शामिल सनातन समाज के लोगों द्वारा माँग की गई कि हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से खाली कराया जाए, साथ ही गुरुकुल खोले जाएँ और हिंदुओं को जागरुक करने के लिए धार्मिक प्रचार-प्रसार पर बल दिया जाए।
विरोध यात्रा में “हिन्दू मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त करो, जागो हिंदुओं अब धर्म बचाओ” जैसे नारे भी लगे। सवाल उठा कि क्यों स्वतंत्रता प्राप्ति के 77 वर्ष बाद भी हिंदुओं को अपने मंदिरों का संचालन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती? पूछा गया कि अल्पसंख्यकों को अपने धार्मिक संस्थान चलाने की अनुमति है परंतु हिंदू को यह संविधान सम्मत अधिकार क्यों नहीं दिया जा रहा?
विरोध यात्रा के दौरान ये भी कहा गया मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराए बिना उनकी पवित्रता को पुनर्स्थापित नहीं की जा सकती। जो सरकारें संविधान की रक्षा के लिए निर्माण की जाती हैं वे ही संविधान की आत्मा की धज्जियाँ उड़ा रही है। अपने निहित स्वार्थ के कारण मंदिरों का अधिग्रहण कर वे संविधान की धारा 12, 25 व 26 का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन कर रही हैं।