कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड में तीन भारतीय लोग पकड़े गए हैं, उनमें से 2 लोग कमलप्रीत सिंह और करन बरार स्टूडेंट वीजा के दम पर कनाडा पहुँचे थे। दोनों साल 2019 में भारत के पंजाब से कनाडा पहुँचे थे। बरार ने कैलगरी के बो वैली कॉलेज में 30 अप्रैल 2020 को एडमिशन लिया और 4 मई 2020 को उस जगह को छोड़कर एडमोंटन चला गया। करन बरार तब से ही कनाडा में था और बिना किसी रोक-टोक के वो अपना काम कर रहा था।
साल 2019 के वीडियो में करन बरार ने कहा था कि वो पंजाब के बठिंडा से एथिनवर्क्स इमिग्रेशन सर्विसेस की मदद से कुछ दिनों में स्टूडेंट वीजा पा गया था। ये वीडियो एथिनवर्क्स इमिग्रेशन सर्विसेज ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर अपलोड किया था, लेकिन अब उसे डिलीट कर दिया गया है। हालाँकि ये वीडियो ट्विटर पर अब भी मौजूद है। इस वीडियो को समीर कौशल नाम के एक्स यूजर ने शेयर किया है।
#BreakingNews #Exclusive #HardeepSinghNijjar #KaranBrar
— Sameer Kaushal 🇨🇦❤🇮🇳 (@itssamonline) May 4, 2024
Old Video of Karan Brar while endorsing a immigration company in 2019.#RCMP #IHIT #cdnpoli pic.twitter.com/ZakDmf70jf
स्टूडेंट वीजा से कनाडा बटोर रहा डॉलर
दिसंबर 2023 के आँकड़ों के मुताबिक, कनाडा में 10 लाख से ज्यादा विदेशी छात्र मौजूद हैं। कनाडा सरकार के मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय छात्रों से उसकी अर्थव्यवस्था में 22 बिलियन डॉलर का योगदान होता है और इससे 2 लाख से ज्यादा नौकरियाँ बनती हैं। कुछ समय पहले कनाडा में भारत के उच्चायुक्त संजय वर्मा ने बताया था कि कनाडा में मौजूदा समय में 4.27 लाख भारतीय छात्र हैं, जिन्होंने कनाडा की अर्थव्यवस्था में 18 बिलियन डॉलर का योगदान दिया है।
मॉन्ट्रियल में एक कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कनाडा के सिस्टम की खामियों की तरफ भी इशारा किया था और बताया था कि कैसे कनाडा में खुले शिक्षा के ‘आउटलेट्स’ भारतीय छात्रों को ठग रहे हैं और इससे भारत में ‘कनाडा के शिक्षा ब्राण्ड’ का नाम खराब हो रहा है।
"Brand Canada got a bad name in education.." over Indian students being duped by "unethical outlets", Indian High Commissioner to Canada Sanjay Verma; Points,'Brand Canada needs to reinstate its position..'
— Sidhant Sibal (@sidhant) May 8, 2024
Vdo ctsy: CPAC pic.twitter.com/8DdZEO6zYH
कनाडा में अच्छी शिक्षा के नाम पर मोटी फीस वसूली जा रही है, तो भारतीय छात्रों को ठगी का भी शिकार बनाया जा रहा है। ऐसा ही एक एजेंट पिछले साल जालंधर से गिरफ्तार हुआ था, जिसके 700 से अधिक छात्रों को ठगा था। उन छात्रों पर कनाडा से डिपोर्ट करने का खतरा मंडरा रहा था। ये हैरान करने वाली बात है कि कनाडा के अधिकारी ‘फर्जी कागजातों’ पर भी लोगों का स्वागत अपने देश में कर रहे हैं और सुरक्षा एजेंसियाँ इन्हें पकड़ा नहीं पा रही हैं।
निज्जर को नहीं मिली नागरिकता, फिर भी ढाई दशक कनाडा में जिया और वहीं मरा
करन बरार जैसे लोग कनाडा एक स्टूडेंट वीजा पर आते हैं और फिर सालों साल जमे रहते हैं। इसी तरह से खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर, जिसकी पिछले साल हत्या कर दी गई थी, वो भी कनाडा में फर्जी तरीके से ही आया था और दो बार उसका शरणार्थी आवेदन खारिज हुआ था, फिर वो करीब ढाई दशक कनाडा में बिताने में सफल हो गया, वो भी बड़े सम्मान के साथ और खालिस्तानी गुटों का नेतृत्व करते हुए।
हैरानी की बात है कि निज्जर कनाडा में साल 1997 में घुसने में सफल रहा था, जब वो ‘रवि शर्मा’ काम के फर्जी पहचान के साथ कनाडा आया। उसने जून 1998 में पहली बार एफिडेविट देकर शरण माँगा, और बताया कि भारत में उसकी जिंदगी खतरे में है, लेकिन उसका एफिडेविट ही फर्जी निकला। इसके बाद निज्जर ने ‘प्लान बी’ अपनाया और कनाडा की नागरिकता पाने के लिए सिर्फ 11 दिन बाद ही एक महिला से शादी कर ली। ब्रिटिश कोलंबिया की रहने वाली उस महिला ने अपने पति के तौर पर निज्जर को नागरिकता दिलाने की कोशिश की, लेकिन कनाडा के अधिकारियों ने उसे पकड़ लिया। पता चला कि वो साल 1997 में पहले ही एक व्यक्ति को अपना पति बोल कर वीजा दिलवा चुकी है। निज्जर ने इस झटके को कोर्ट में चैलेंज किया लेकिन साल 2001 में वो मुकदमा हार गया। अब इसमें सबसे बड़ी हैरानी इस बात की है कि दो बार नागरिकता/शरणार्थी की याचिका खारिज होने, कोर्ट केस हारने के बावजूद वो कनाडा में न सिर्फ टिका रहा, बल्कि खुद को कनाडाई नागरिक भी कहता रहा।
अपनी गलतियाँ छिपाने के लिए भारत पर आरोप मढ़ रही ट्रूडो सरकार
निज्जर की हत्या में अपने देश की खराब कानून व्यवस्था की बात को छिपाते हुए जस्टिन ट्रूडो ने इसका दोष भारत पर मढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि उन्हें फर्जी स्टूडेंट वीजा, कट्टरपंथी ताकतों और आतंकवादियों पर कार्रवाई करनी चाहिए थी। हकीकत ये है कि ट्रूडो सरकार अब खुलकर खालिस्तानी आतंकवादियों का समर्थन कर रही है, उन्हें बचा रही है और भारत विरोधी कार्यक्रमों को जारी रखने की छूट दे रही है। भले ही इसकी वजह से भारत-कनाडा के संबंध अब रसातल तक नीचे पहुँच गए हों।
कनाडा सरकार अब खालिस्तानी आतंकियों को भारतीय राजनयिकों को हत्या की धमकी देने और मारपीट तक में बर्दाश्त कर रही है। कनाडा में इस समय बहुत सारे खालिस्तानी आतंकी और भारत विरोधी अलगाववादी आराम से रह रहे हैं और ट्रूडो सरकार की मदद से गैर-कानूनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। एक तरफ हरदीप निज्जर के पास कनाडा की वैध नागरिकता थी भी या नहीं, ये बात सही से सामने भी नहीं आ पाई है, तो दूसरी तरफ कनाडा की ट्रूडो सरकार उसे कनाडा का नागरिक बोलकर उसका समर्थन कर रही है। यही नहीं, इस मामले में तनाव इतना बढ़ा कि दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को भी निकाल दिया था।
दरअसल, जस्टिन ट्रूडो की सरकार गठबंधन की सरकार है। उसका एक पहिया है जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी)। जगमीत सिंह खुद खालिस्तान समर्थक और भारत विरोधी रुख रखता है। जगमीत सिंह ने भी निज्जर की हत्या में भारत पर उंगली उठाई थी, जबकि आज तक कनाडा और उसकी सुरक्षा एजेंसियाँ भारत का हाथ साबित नहीं कर पाई हैं।
ये हो सकता है कि ट्रूडो और उनकी सरकार अपनी राजनीतिक मजबूरियों के चलते खालिस्तानियों के खिलाफ आँख मूँदे बैठी हो, लेकिन कनाडा में स्टूडेंट वीजा पर भारी संख्या में गए लोगों का गैर-कानूनी तरीके से रहना और फर्जी दस्तावेजों के सहारे कनाडा में निज्जर जैसे हत्याकाँड को अंजाम देना कनाडा की विफलता को ही दर्शाते हैं। ऐसे में ये कनाडा की समस्या है कि उसके घर में क्या हो रहा है, उसे वो खुद देखे, न कि अपनी विफलता के लिए भारत को दोष दे। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कनाडा को यही सलाह दी है कि वो अपने सिस्टम को ठीक करे और बिना वजह किसी पर उंगली न उठाए।
(यह लेख मूल रूप से अंग्रेजी में प्रकाशित है। मूल लेख पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।)