समय-समय पर देश की संस्थाओं के प्रति कुछ भी गैरजिम्मेदाराना बयान देना पूर्व उप-राष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी की फितरत बन चुकी है। वैसे भी आप इसे उनकी मजबूरी भी कह सकते हैं, क्योंकि जिस गाँधी परिवार का अपने निजी हितों को साधने के लिए जिंदगी भर ढोल बजाया और पेट भरकर खाया हो, उसको पचाने के लिए यह सब भी जरूरी है, खैर एक बार फिर हामिद अंसारी ने अपनी वही भूमिका दोहराते हुए कहा है कि भारत में बहुत ही खतरनाक प्रक्रिया चल रही है, आज देश की प्रमुख संस्थाएँ खतरे में हैं।
यह बातें दो बार देश के उप-राष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी ने नई दिल्ली में मंगलवार को राज्यसभा सदस्य रहे भालचंद्र मुंगेकर की किताब के विमोचन के अवसर पर कहीं। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जिन सिद्धांतों पर संविधान की प्रस्तावना की गई आज उनकी अवहेलना की जा रही है। अंसारी ने आगे कहा कि लोग मुश्किल समय में जी रहे हैं और प्रतिक्रिया करना बेहद जरूरी है, क्योंकि यदि यह जारी रहा तो बहुत देर हो जाएगी। हालाँकि, अंसारी को शायद अपने ऊपर चिदंबरम जैसी कार्रवाई होने का डर था, इसीलिए वह अपने पूरे संबोधन में खुलकर कुछ नहीं बोल सके और चारों ओर नजरें धुमाते हुए बस एक ही बात को दोहराते रहे, “हम बहुत मुश्किल समय में जी रहे हैं। मुझे इसके विस्तार में जाने की जरूरत नहीं है, लेकिन सच्चाई यह है कि भारत के गणतंत्र की संस्थाएँ बहुत खतरे में हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “इस प्रक्रिया में काफी कुतर्क शामिल है इसलिए अधिकतर नागरिकों द्वारा इसे समझ पाना आसान नहीं है। हालाँकि, सच्चाई यह है कि बहुत खतरनाक प्रक्रिया चल रही है। यह हमारे लिए, देश के नागरिकों के लिए खतरनाक है।” अंसारी ने कहा कि भारत के मित्र देश स्थिति को खतरे की स्थिति के तौर पर देख रहे हैं जबकि देश के दुश्मन खुश हैं। हालाँकि, अंसारी ने यह नहीं बताया कि देश की कौन सी स्थिति खतरे वाली है, जिसे वह पड़ोसी देश तो देख पा रहे हैं, लेकिन वह नहीं बोल पा रहे। उन्होंने यह तो कह दिया कि देश के दुश्मन इस स्थिति से खुश हैं, लेकिन यह नहीं बताया कि देश के दुश्मन कौन हैं। उन्होंने आगे कहा, “इसलिए कुछ ऐसा(अंसारी ने कुछ का मतलब नहीं बताया) है, जिस पर गौर किया जाना चाहिए, मैं डा. मुंगेकर के शब्दों को जगाने वाला और यह याद दिलाने वाला मानता हूँ कि हमें भ्रमित किया जा रहा है और यदि हम इस प्रक्रिया को जारी रहने देंगे तो जगने में बहुत देर हो जाएगी।”
दरअसल, उन्होंने यह टिप्पणी शिक्षाशास्त्री और राज्यसभा सदस्य रहे भालचंद्र मुंगेकर की पुस्तक ‘माय एनकाउंटर्स इन पार्लियामेंट’ के विमोचन के मौके पर की। इस मौके पर राकांपा प्रमुख शरद पवार, भाकपा महासचिव डी. राजा और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी भी उपस्थित थे।
वैसे हामिद अंसारी से देशहित में बयान देने की उम्मीद करना बेमानी होगी, क्योंकि जिस गाँधी परिवार ने देश पर 60 वर्षों तक राज किया उस पर अंसारी आज तक कुछ बोल नहीं सके, लेकिन जैसे ही मोदी सरकार केन्द्र की सत्ता में आई ऐसे ही देश में संविधान की अवहेलना होने लगी। गौर हो कि मोदी सरकार के बनने के बाद अपने कार्यकाल के आखिरी दिन हामिद अंसारी ने कहा था कि देश के मुस्लिम समुदाय में आज असुरक्षा का माहौल है, अपने आखिरी इंटरव्यू के जरिए हामिद अंसारी ने मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा था कि भारत का समाज सदियों से बहुलतावादी रहा है, लेकिन सबके लिए ये स्वीकार्यता का माहौल अब खतरे में है, लोगों की भारतीयता पर सवाल खड़े करने की प्रवृत्ति भी बेहद चिंताजनक है। कानून व्यवस्था को लागू करने की सरकारी अधिकारियों की क्षमता भी अलग-अलग स्तर पर खत्म हो रही है।
वैसे हामिद अंसारी का विवादों से गहरा नाता रहा है। बंगाल में जन्मे और एएमयू जैसे शिक्षण संस्थान में अपनी पढ़ाई करने वाले वह हामिद अंसारी ही थे, जिन्होंने भारत में यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा की उपस्थिति में गणतंत्र दिवस तो मनाया था, लेकिन हामिद अंसारी ने भारत के राष्ट्रध्वज को सलामी नहीं दी थी। इसके बाद यह तस्वीर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई थी। अंसारी ने वर्ष 2018 में देश के बंटवारे को लेकर विवादित बयान दिया था, उन्होंने कहा कि देश के विभाजन के लिए सिर्फ पाकिस्तान ही जिम्मेदार नहीं था, बल्कि हिंदुस्तान भी जिम्मेदार था। इतना ही नहीं अंसारी ने कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर के उस बयान को भी सही ठहराया था, जिसमें थरूर ने कहा था कि अगर साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी जीती, तो हिंदुस्तान का संविधान खतरे में पड़ जाएगा और भारत हिंदू पाकिस्तान बन जाएगा।
अब अंसारी की विचारधारा जिन्ना वाली है या गाँधी वाली इस बात का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि 21 जून 2015, भारत के अलावा दुनिया के 190 देश पहली बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहे थे। राजपथ पर हुए कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूरा मंत्रिमंडल मौजूद था, लेकन बड़े संवैधानिक पद पर रहते हुए भी कार्यक्रम में हामिद अंसारी मौजूद नहीं हुए। हालांकि बाद में उन्होंने अपनी तबियत खराब होने का हवाला दिया था। इतना ही नहीं मोदी सरकार द्वारा पाकिस्तान पर की गई बालाकोट स्ट्राईक के बाद जो लोग सेना पर सवाल उठा रहे थे, उस पर बोलते हुए अंसारी ने कहा था कि बालाकोट पर सवाल उठाना देशद्रोह नहीं बल्कि लोगों का अधिकार है। वहीं पिछले वर्ष रॉ के एक पूर्व अधिकारी ने पिछले वर्ष एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा था कि पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने 1990-92 के बीच ईरान में भारतीय राजदूत रहते तेहरान में रॉ के सेटअप को उजागर कर वहाँ काम कर रहे अधिकारियों की जिन्दगी को खतरे में डाल दिया था।