कभी राम भक्तों पर गोली चलवाने वाले सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव दुनिया में नहीं हैं, लेकिन राम मंदिर विरोध की डोर अब उनके भाई-बेटे ने थाम ली है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाकर अखिलेश यादव के पास अपने पिता के पापों का प्रायस्चित करने का मौका था, लेकिन उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा में शामिल न होकर वो मौका तो खो ही दिया, अब अखिलेश यादव के चाचा और उनके सबसे बड़े सलाहकार राम गोपाल यादव एक कदम आगे बढ़ गए।
राम गोपाल यादव ने तो राम मंदिर के निर्माण को ही गलत बता दिया। इसलिए नजरिए से नहीं कि वो हिंदुओं का तीर्थ है, बल्कि इस नजरिए से कि राम मंदिर का वास्तु सही नहीं है। मंदिर ऐसे नहीं बनता है। तो अब राम गोपाल यादव वास्तुविद बन कर राम मंदिर से जुड़ी आस्था को तय करेंगे। हालाँकि साथ ही वो ये भी बोल रहे हैं कि वो कोई मंदिर वंदिर नहीं जाते।
अखिलेश यादव के सबसे करीबी सलाहकार और उनके राज्यसभा सांसद चाचा रामगोपाल यादव ने राम मंदिर पर बयान देते हुए कहा है कि ‘वो मंदिर बेकार है, मंदिर ऐसे नहीं बनते। राम मंदिर का नक्शा ठीक नहीं बना है, ये वास्तु के हिसाब से ठीक नहीं बनाया गया है।’ इससे पहले, उन्होंने रामनवमी के मौके पर भी कुछ ऐसा ही बयान दिया था। राम गोपाल यादव ने कहा था, “करोड़ों लोग हजारों वर्षों से रामनवमी मनाते आ रहे हैं और इस देश में केवल एक राम मंदिर नहीं है। उन्होंने अधूरी प्राण-प्रतिष्ठा की है और शंकराचार्य इसके खिलाफ थे। बीजेपी को सजा देंगे। मैंने कभी किसी की पूजा नहीं की। मैं दिखावा नहीं करता हूँ। मैं भगवान का नाम लेता हूँ, लेकिन पाखंडी नहीं हूँ। पाखंडी लोग ये सब करते हैं। भगवान राम इन लोगों को दंड देंगे।”
खास बात ये है कि एक दिन पहले ही गाँधी परिवार के बेहद करीबी रहे आचार्य प्रमोद कृष्णम ने खुलासा किया है कि कॉन्ग्रेस पार्टी सत्ता में आने के बाद ठीक वैसा ही काम करेगी, जैसा राजीव गाँधी की अगुवाई में कॉन्ग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी खास कानून लाकर शाहबानो केस को पलट दिया था। उसी तरह से कॉन्ग्रेस पार्टी सत्ता में आने के बाद राम मंदिर के फैसले को कानूनी तौर पर पलट देगी। इस बात का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक जनसभा में किया है।
मध्य प्रदेश के खरगोन में जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (07 मई 2024) को कहा, “पाकिस्तान में आतंकी भारत के खिलाफ जिहाद की धमकी दे रहे हैं। यहाँ कॉन्ग्रेस के लोगों ने भी घोषणा कर दी है कि मोदी के खिलाफ वोट जिहाद करो। यानी मोदी के खिलाफ एक खास धर्म के लोगों को एकजुट होकर वोट करने को कहा जा रहा है। सोचिए, कॉन्ग्रेस किस स्तर पर उतर आई है।’
पीएम मोदी ने कहा, “कॉन्ग्रेस के इरादे कितने भयानक हैं, उसकी साजिशें कितनी खतरनाक हैं। ये समझने के लिए आपको उन लोगों की बातें सुननी होगी, जो 20-20, 25-25 साल कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ता और नेता रहे हैं और ये लोग अब धमाधम कॉन्ग्रेस छोड़ रहे हैं. अब इनकी बातें सुनिए, एक महिला ने कहा कि मैं राम मंदिर गई, तो उसको इतना टॉर्चर किया गया कि उन्हें कांग्रेस ही छोड़नी पड़ गई। एक और व्यक्ति ने कॉन्ग्रेस की गहरी साजिश से पर्दा उठा दिया, उन्होंने कहा कि ‘कॉन्ग्रेस के शहजादे का इरादा राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने का है।”
बता दें कि सोमवार (06 मई 2024) को आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि राहुल गाँधी कई बार हिंदुत्व, हिन्दू धर्म की शक्ति बदलने की बात कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस नेता जानते हैं कि कॉन्ग्रेस सरकार बनने पर राम मंदिर का फैसला बदला जाना था। यह सब अमेरिका में रहने वाले लोगों की सलाह पर होता है। उन्होंने राहुल गाँधी से इस बात की प्रतिक्रिया लेने की बात भी कही है। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा है कि यह बात यदि गलत है तो मुझ पर मुकदमा कर दिया जाए, मैं इसे सिद्ध कर दूँगा।
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने मीडिया से बातचीत में खुलासा करते हुए कहा, “मैं कॉन्ग्रेस में 32 वर्ष रहा हूँ। जब राम मंदिर का निर्णय आया तो राहुल गाँधी ने अपने नजदीकी लोगों की बैठक में अमेरिका के अपने एक सलाहकार के कहने पर कहा था कि सरकार बनने पर राम मंदिर का फैसला पलट दिया जाएगा। इसके लिए सुपरपावर कमीशन बनाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा था कि जिस तरह तीन तलाक के मुद्दे को लेकर शाहबानो निर्णय को राजीव गाँधी सरकार ने बदला था तो फिर राम मंदिर का निर्णय क्यों नहीं बदला जा सकता।”
इंडी गठबंधन के दो सबसे बड़े चेहरों के राम मंदिर और हिंदुओं को लेकर अगर ये विचार हैं, तो समझा जा सकता है कि इंडी गठबंधन भारत के मूल निवासियों के कितने खिलाफ हैँ। भारत में रहते हुए भी भारत देश को तोड़ने की बातें की जा रही हैं। इंडी गठबंधन की शीर्ष पार्टियों के नेता कभी राम मंदिर को ही गलत बता रहे हैं, तो राहुल गाँधी राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही बदल देना चाहते हैं। ममता बनर्जी की सरकार भी राम मंदिर को लेकर हिंदुओं से अपनी घृण दिखा चुकी है, तो तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी और इंडी गठबंधन की तीसरी सबसे बड़ी सहयोगी डीएमके के नेता और अहम मंत्री उदयनिधि स्टालिन तो सनातन को ही मिटाने की बात कर चुके हैं। हिंदुत्व, सनातन पर इसी खतरे को देखते हुए ही शायद प्रधानमंत्री को ये अपील करनी पड़ रही है कि अब ये लोगों को तय करना है कि देश को कैसे चलाना है, जिहाद से या फिर राम राज्य से।