CM योगी के दमदार फैसले, जिसने पेश की नई नजीर: लव जिहाद कानून से लेकर अपराधियों पर सख्ती तक… कितनी बदली UP

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दमदार फैसले ने पेश की नई नजीर (फाइल फोटो)

यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ आए दिन सुर्खियों में रहा करते हैं उनको अपने कड़े तेवर दिखाने हों, या फिर सख्त फैसले लेने हों। वह देरी करना तो जानते ही नहीं हैं। वो कहते हैं न… ऑन द स्पाट फैसला, जी हाँ… वही करते हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। 

महिला सुरक्षा पर फैसले, लव जेहाद के खिलाफ कानून

याद कीजिए… लव जिहाद पर बहस छिड़ी थी मध्य प्रदेश में, उधर बहसा-बहसी ही जारी थी और इधर योगी आदित्यनाथ ने कैबिनेट में लव जिहाद को लेकर कानून भी बना दिया। योगी आदित्यनाथ की इस तेजी और मुस्तैदी पर खूब चर्चाएँ हुई थी। इसके अलावा महिलाओं से छेड़खानी, यौन शोषण करने वाले दोषियों के पोस्‍टर चौराहों पर लगाने का फैसला लिया।

महिलाओं के स्वावलंबन, महिला सुरक्षा और सम्मान के साथ नवरात्रि में मिशन शक्ति की शुरुआत की गई। प्रदेश भर में थाने, तहसीलों और ब्‍लाकों में महिला हेल्‍प डेस्‍क और पिंक महिला पुलिस तक की सुविधा दी गई। विकास दूबे वाला मामला भी याद होगा और हाथरस गैंगरेप वाला मामला भी। सीबीआई को जाँच सौंपना हो या फिर उत्तर प्रदेश पुलिस से काम लेना हो, योगी आदित्यनाथ हर मामले में अव्वल हैं।

यूपी में माफियाओं के बुरे दिनों की शुरुआत

शहरों का नाम बदलना हो या फिर अपराधियों के घर बुलडोजर चला उसे नेस्तनाबूद कर देना हो, योगी आदित्यनाथ एक झटके में फैसला करते नजर आते हैं। योगी आदित्यनाथ ने पहले ही प्रदेश में अपराधियों और माफियाओं को काबू में आ जाने के लिए ललकारा था। ऐसे में योगी सरकार ने माफियाओं पर अंकुश लगाने और उनके साम्राज्य का अंत करने के लिए संपत्तियों को जब्त करने और अवैध इमारतों पर बुलडोजर चलाने के आदेश जारी किए। अतीक, मुख्तार समेत इनके गैंग के लोगों के लिए ये साल कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक रहा। अपराधियों के खिलाफ सबसे बड़ा और प्रभावी अभियान चलाया गया, जिसमें प्रशासन के बुलडोजर के पहियों के नीचे माफियाओं की अवैध सम्पत्तियाँ चकनाचूर हो गई।

यूपी दंगों में सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाने वालों से वसूली

गाजियाबाद के श्मशान घाट में हुए हादसे के मुख्य आरोपित जब पकड़े गए और सामने आया कि श्मशान घाट की गैलरी की छत के निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ था और घूस खाई गई थी तो सबको लगा अब तो कानूनी कार्यवाई होगी। लेकिन योगी आदित्यनाथ सबकी तरह नहीं सोचते। वह कुछ बड़ा सोचते हैं।

योगी आदित्यनाथ ने उन आरोपितों पर कानूनी कार्रवाई तो की ही साथ ही श्मशान घाट की गैलरी पर हुए निर्माण के नुकसान की भरपाई भी उन्हीं आरोपितों से किए जाने का ऐलान कर दिया। योगी आदित्यनाथ के इस फैसले को लोगों ने खूब पसंद भी किया।

हालाँकि, ऐसी कार्रवाई योगी आदित्यनाथ अन्य मामलों में भी कर चुके हैं फिर वो सीएए एनआरसी वाला मामला रहा हो या फिर फर्जी शिक्षकों का मामला, वह नुकसान की भरपाई भी उन लोगों से ही करने का फरमान सुना देते हैं जो उन्हें गलत नजर आता है।

जब केंद्र के सीएए कानून के विरोध में यूपी में प्रदर्शन शुरू हुए, उस दौरान माहौल बिगाड़ने के लिए दंगाइयों ने जमकर उपद्रव मचाया। सरकारी संपत्तियों का नुकसान किया। तोड़फोड़ और आगजनी की। योगी सरकार ने इन उपद्रवियों, दंगाइयों को सबक सिखाने के लिए छतिग्रस्‍त की गई सरकारी संपत्तियों के नुकसान की भरपाई उन्हीं से करवाने का फैसला लिया और वसूली के लिए योगी सरकार ने रिकवरी अध्‍यादेश जारी किया। ऐसे दंगाइयों के पोस्टर चौराहों पर लगाए गए।

योगी आदित्यनाथ के फैसलों में एक फैसला और जोड़ लीजिए, ये फैसला कैसा भी हो लेकिन इसे आप गलत फैसला तो नहीं करार दे पाएँगें। दरअसल, उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग में चार अपर जिला सूचना अधिकारियों का प्रमोशन हुआ था। इन सबका प्रमोशन गलत पाया गया था, जो सामने आया तो योगी आदित्यनाथ ने इनको वापस वहीं भेज दिया जहाँ से इन्होंने शुरुआत की थी।

इनमें पहले अधिकारी का नाम है नरसिंह, जो कि अपर जिला सूचना अधिकारी, बरेली के पद पर तैनात थे। अब इनको चपरासी के पद पर तैनात कर दिया गया है। दूसरे अधिकारी हैं अपर जिला सूचना अधिकारी, फिरोजाबाद दयाशंकर, इनको चौकीदार बना दिया गया है। तीसरे अधिकारी हैं विनोद कुमार शर्मा, जो अपर जिला जिला सूचना अधिकारी, मथुरा की पद पर तैनात थे, इनको सिनेमा ऑपरेटर कम प्रचार सहायक बना दिया गया है।

जबकि चौथे अधिकारी हैं अनिल कुमार सिंह, जो कि अपर जिला सूचना अधिकारी, भदोही की पद पर थे इनको भी सिनेमा ऑपरेटर कम प्रचार सहायक के पद पर भेज दिया गया है। योगी आदित्यनाथ का ये फैसला बेहद सख्त और तल्ख है उन लोगों के लिए जो भ्रष्टाचार करते हुए पाए जाते हैं। इन चारों अफसरों के प्रमोशन में खेल हुआ तो योगी आदित्यनाथ ने इनका डिमोशन ही कर दिया है।

इन चारों अधिकारियों पर आरोप है कि इन लोगों ने नियम के विरुद्ध प्रमोशन हासिल किया था इसकी सूचना मुख्यमंत्री को लगी तो इन चारों अधिकारियों को इनके मूल पद पर वापिस भेज दिया गया। योगी आदित्यनाथ का ये फैसला सीख है, नजीर है और एक सबक भी है, एक मुखिया के तौर पर योगी आदित्यनाथ के फैसले उनको और मजबूत बना रहे हैं।

कोरोना काल में यूपी ने देश-दुनिया के सामने पेश की मिसाल

आबादी के हिसाब से भारत के सबसे बड़े राज्य के लिए ये साल सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण रहा। कोरोना जैसी विकराल बीमारी से हर कोई जूझ रहा था, तब सबसे ज्यादा जनसंख्या वाली यूपी को सँभालना, सीएम योगी के लिए जरूर कठिन रहा होगा। पर उन्होंने यूपी के स्वास्थ्य क्षेत्र से लेकर आर्थिक, आपराधिक और दशकों से लोगों की आस्था से जुड़े राम मंदिर तक के मुद्दे पर पूरी जिम्मेदारी के साथ दमदार फैसलों से व्यवस्था बनाए रखी और लोगों को सुरक्षित माहौल देने की पूरी कोशिश की।

कोरोना काल में यूपी ने देश-दुनिया के सामने मिसाल पेश की। कोरोना काल में सेवा के साथ-साथ अपने विकास कार्यों के माध्यम से प्रदेश ने देश दुनिया के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया। कोरोना काल में ही जब सीएम के पिता का देहांत हुआ था, तब भी उन्होंने नजीर पेश किया था। देश की सबसे बड़ी आबादी वाले सूबे उत्तर प्रदेश को सँभालने के कर्तव्य के आगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक ऐसी मिसाल पेश की जो शायद इससे पहले के सियासत में पहले कभी देखी या सुनी नहीं गई। 

अपने पिता के देहांत का समाचार मिलने पर योगी ने सिर्फ एक मिनट का मौन रखने के बाद अपनी बैठक को दोबारा शुरु कर दिया। सीएम की इस कर्मठता ने सूबे के अधिकारियों के सामने बेहतरीन जज्बे का उदाहरण पेश किया है। अपने पिता के दुखद देहान्त के बाद भी अपने काम-काज को एक मिनट के लिए भी विश्राम नहीं देकर उन्होंने पूरे सूबे के अधिकारियों के सामने एक बेमिसाल नजीर पेश किया।

कोरोना संकट से निपटने के लिए लॉकडाउन का एलान हुआ तो लोगों पर आर्थिक संकट बन आया। इस दौरान सीएम योगी ने आदेश दिया कि कोई भूखा न सोने पाए। यूपी में 40 लाख से अधिक मजदूरों को भोजन से लेकर, राशन, दवा के साथ ही 1 हजार रुपए का भत्ता दिया गया। युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए मिशन रोजगार के तहत 4 लाख से ज्‍यादा नौकरियाँ दी।

कोरोना संकट के बीच अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की नींव

दशकों से भारत समेत दुनिया भर के हिन्दुओं को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का इंतजार था। इस साल भव्य राम मंदिर का शिलान्यास होना था। कोरोना का संकट आया तो लोगों में एक आशंका उठी कि शायद उन्हें राम मंदिर के लिए अभी और इंतजार करना पड़े। लेकिन मुख्यमंत्री योगी ने इस संकट के बीच भी हिन्दुओं की आस्था को बनाए रखने और इंतजार को खत्म करते हुए श्रीराम के भव्य मंदिर का शिलान्यास और भूमि पूजन का कार्यक्रम आयोजित करवाया। पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों पूजन हुआ और इस अद्भुत दृश्य को पूरी दुनिया ने देखा। हालाँकि, उनके कुछ फैसलों पर विपक्ष ऊँगली उठाता है लेकिन उनके काम करने के तरीके से लगभग सभी राज्यों के मुख्यमंत्री उनसे प्रभावित होते जरूर नजर आते हैं।