Friday, November 22, 2024
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प्रदर्शन में बच्चों का इस्तेमाल, NCPCR के आदेश के बाद आदित्य ठाकरे पर होगी FIR: ‘मेट्रो मैन’ ने आरे पर उनके झूठ की खोल दी पोल

"यदि मेट्रो रेल का नेटवर्क बड़ा है, तो उसे नियमित रूप से कार शेड में मेंटेनेंस के लिए ले जाने की आवश्यकता होती है और यदि छोटा है तो दो दिन में एक बार। यह विजिट सुरक्षा प्रमाणन के लिए है।"

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग एनसीपीसीआर (NCPCR) ने ‘आरे वन बचाओ’ अभियान में बच्चों का इस्तेमाल करने के कारण शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे के खिलाफ FIR दर्ज कराने की माँग की। संज्ञान लेते हुए NCPCR ने मुंबई पुलिस को एक नोटिस भेजा है। नोटिस के अनुसार आयोग को शिकायत मिली है कि आदित्य ठाकरे ने शिवसेना युवा प्रकोष्ठ में आरे बचाओ प्रदर्शनों के दौरान राजनीतिक अभियान में नाबालिग बच्चों का इस्तेमाल किया है।

इस मामले में उन्होंने ट्विटर का एक लिंक भी साझा किया है। इसमें प्रदर्शन के दौरान बच्चे हाथ में तख्तियाँ लिए खड़े हैं। आयोग ने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए आयोग आरोपित के खिलाफ तत्काल प्राथमिकी दर्ज करके मामले की जाँच करने का अनुरोध करता है। इसमें कहा गया कि इस पत्र के प्राप्त होने के तीन दिन के भीतर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट, प्राथमिकी की प्रति और बच्चों के बयान आयोग को सौंपे जाएँ।

बता दें कि मुंबई के गोरेगाँव में आरे कॉलोनी में मेट्रो शेड के निर्माण के लिए पेड़ काटे जाएँगे। उन पेड़ों को काटे जाने का विरोध शिवसेना कर रही थी। उस विरोध में आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में कई नाबालिग बच्चों को भी तख्ती दे कर प्रदर्शन में शामिल किया गया था। इसी का अब NCPCR ने संज्ञान ले लिया है।

वहीं आदित्य ठाकरे द्वारा रविवार (10 जुलाई, 2022) को कार शेड को लेकर झूठ बोलने का मामला सामने आया है। कल प्रदर्शन के दौरान आरे विरोध स्थल पर मीडिया से बात करते हुए शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने कहा, “यह मुंबई की लड़ाई है, जिंदगी की लड़ाई है। हमने जंगल के लिए और अपने आदिवासियों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। जब हम यहाँ थे, तो कोई पेड़ नहीं काटा गया। हर रात नहीं, हर 3-4 महीने में एक बार कार शेड में मेंटेनेंस के लिए जाती है ट्रेनें।”

यहाँ यह ध्यान देने वाली बात है कुछ दिन पहले ही आदित्य ठाकरे सरकार में थे और उन्हें पूरी परियोजना के बारे में पता होना चाहिए। फिर भी आदित्य ठाकरे ने कहा कि मेट्रो ट्रेनों को दो से तीन महीने में एक बार कार शेड में भेजा जाना है। इसी सवाल के जवाब के लिए जब आर्गेनाइजर ने मेट्रो मैन ई श्रीधरन को फोन किया तो कुछ और ही सच्चाई सामने आई।

इस सवाल के जवाब में मेट्रो मैन ई श्रीधरन ने कहा, “यदि मेट्रो रेल का नेटवर्क बड़ा है, तो उसे नियमित रूप से कार शेड में मेंटेनेंस के लिए ले जाने की आवश्यकता होती है और यदि छोटा है तो दो दिन में एक बार। यह विजिट सुरक्षा प्रमाणन के लिए है, जिससे गुजरने के बाद ये ट्रेनें चल सकती हैं।”

श्रीधरन के अनुसार, यह बयान कि मेट्रो रेल को कार शेड में दो से तीन महीने में एक बार जाने की जरूरत होती है, सरासर गलत है।

श्रीधरन कहते हैं कि मेट्रो कार रेक को भी स्थिर करने के लिए, उन्हें नियमित रूप से मेट्रो कार शेड में ले जाने की आवश्यकता होती है, मुख्य लाइन पर सभी रेक को स्थिर नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दरअसल, कार शेड मेट्रो रेल की सुरक्षा और संचालन के लिए ‘ब्रेन सेंटर’ है।

आर्गेनाइजर की रिपोर्ट के अनुसार, जब पूछा गया कि मेट्रो रेल को दो से तीन महीने में एक बार कार शेड में जाना पड़ता है तो यह क्या है? तब श्रीधरन ने बताया, दो तरह के ओवरहाल होते हैं, जहाँ मेट्रो रेल कारों के हर पहलू की जाँच की जाती है।

पहला एक पीरियाडिक ओवरहाल (पीओएच) है जो दो-तीन वर्षों में एक बार होता है और दूसरा इंटरमीडिएट ओवरहाल (आईओएच) होता है, जो दो-तीन महीनों में एक बार होता है।

उनकी बातों से यहाँ एक बात की पुष्टि हो गई है कि बड़े नेटवर्क के लिए मेट्रो रेल को एक कारशेड की आवश्यकता होती है जहाँ मेट्रो को रोजाना और छोटे नेटवर्क के लिए दो से तीन दिनों में कम से कम एक बार जाँचा जा सके।

श्रीधरन कहते हैं, “मुंबई मेट्रो में लाइन के अंत या बीच में एक कार शेड होना चाहिए। इसके लिए आरे कॉलोनी एक आदर्श स्थान है।” श्रीधरन के अनुसार जब वह मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) को सलाह दे रहे थे, तो उन्होंने ही कार शेड के लिए आरे स्पॉट का सुझाव दिया था। उन्होंने कहा, “मुझे तत्कालीन सीएम देवेंद्र फडणवीस को समझाना पड़ा, वह थोड़े अनिच्छुक थे, लेकिन जब मैंने उन्हें समझाया कि आरे क्यों जरुरी है, तो वह मान गए।”

श्रीधरन ने वहीं पर्यावरणविद की दृष्टि से भी एक सलाह देते हुए कहा कि विरोध करने वालों को यह समझना चाहिए कि कार शेड के साथ भी जगह को हरा-भरा रखा जा सकता है और लोगों को अर्थव्यवस्था के बारे में भी सोचने की जरूरत है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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