Tuesday, November 5, 2024
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‘सावरकर नहीं होते तो 1857 का स्वतंत्रता संग्राम सिर्फ विद्रोह बनकर रह जाता, सही इतिहास लिखने की जरूरत’

"अगर सावरकर नहीं होते तो हम 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को अंग्रेजों के नजरिए से देख रहे होते। वीर सावरकर ही वह व्यक्ति थे, जिन्होंने 1857 की क्रांति को पहले स्वतंत्रता संग्राम का नाम दिया था।"

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज (अक्टूबर 17, 2019) 1857 के विद्रोह के ऐतिहासिक होने के पीछे वीर सावरकर को वजह बताया। उन्होंने कहा अगर आज सावरकर नहीं होते तो 1857 का विद्रोह कभी स्वतंत्रता संग्राम में दर्ज नहीं हो पाता।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया कि वे सावरकर को भारत रत्न देने की माँग करेंगे। जिसके बाद कॉन्ग्रेसी नेताओं ने इस पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। जिस पर अमित शाह ने आज वाराणसी की रैली के दौरान खुलकर जवाब दिए।

उन्होंने कहा, “अगर सावरकर नहीं होते तो हम 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को अंग्रेजों के नजरिए से देख रहे होते। वीर सावरकर ही वह व्यक्ति थे, जिन्होंने 1857 की क्रांति को पहले स्वतंत्रता संग्राम का नाम दिया था।

केंद्रीय गृहमंत्री ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “वक्त आ गया है, जब देश के इतिहासकारों को इतिहास नए नजरिए से लिखना चाहिए। उन लोगों के साथ बहस में नहीं पड़ना चाहिए, जिन्होंने पहले इतिहास लिखा है। उन्होंने जो कुछ भी लिखा है, उसे रहने दीजिए। हमें सत्य को खोजना चाहिए और उसे लिखना चाहिए। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपना इतिहास लिखें। हम कितने वक्त तक अंग्रेजों पर आरोप लगाते रहेंगे?

बता दें कि गृहमंत्री से से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी महाराष्ट्र के अकोला में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए सावरकर पर अपना पक्ष साफ बता चुके हैं। जहाँ उन्होंने कहा था, “ये वीर सावरकर के ही संस्कार हैं कि राष्ट्रवाद को हमने राष्ट्र निर्माण के मूल में रखा। वीर सावरकर को आए दिन गालियाँ देने वाले, उनका अपमान करने वाले वही लोग हैं जिन्होंने बाबा साहेब आंबेडकर का कदम-कदम पर अपमान किया। उनको दशकों तक भारत रत्न से वंचित रखा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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