नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) के मसले पर बिहार के मुख्य विपक्षी दल में फूट पड़ती दिख रही है। पार्टी के स्टैंड को लेकर एक अल्पसंख्यक विधायक ने ही आपत्ति जताई है। NRC के विरोध में RJD की रैली पर फराज़ फातमी ने एतराज जताया है। उन्होंने कहा है, “मुझे नहीं पता कि वे (तेजस्वी यादव) एनआरसी के खिलाफ रैली क्यों निकाल रहे हैं। राज्य में इसे लागू नहीं किया जाएगा यह सरकार कह चुकी है।”
तेजस्वी राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राजद विधायक दल के नेता हैं। पार्टी में बगावती सुर ऐसे वक्त में उठे हैं जब पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद चारा घोटाले में दोषी करार दिए जाने के कारण जेल में बंद हैं। सीएए और एनआरसी के खिलाफ तेजस्वी की प्रतिरोध यात्रा 16 जनवरी से निकलेगी। इतना ही नहीं फराज ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राज्य का सबसे बड़ा चेहरा बताकर भी सियासत गर्म कर दिया है। उन्होंने कहा, “बिहार में नीतीश कुमार से बड़ा कोई चेहरा नहीं है। 2020 में भी वही सरकार बनाएँगे।”
https://twitter.com/ANI/status/1217342880634683392?ref_src=twsrc%5Etfwफराज ने ये बातें बुधवार को JDU के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह द्वारा आयोजित दही-चूड़ा भोज में शामिल होने के बाद कही। वे दरभंगा के केवटी से विधायक हैं। उनके पिता अली अशरफ फातमी राजद के वरिष्ठ नेता और केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने राजद छोड़ जदयू का दामन थाम लिया था। ताजा बयान से फराज ने भी अपने तेवर जाहिर कर दिए हैं।
वैसे सीएए और एनआरसी को लेकर विपक्षी दलों के भीतर मतभेद की यह पहली घटना नहीं है। राजद की सहयोगी कॉन्ग्रेस को भी कई राज्यों में इस स्थिति से जूझ रही है। मध्य प्रदेश में कॉन्ग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह और हरदीप सिंह डांग पार्टी के स्टैंड का विरोध कर चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने कहा था कि अब दूसरे मजहब के लोग भी इसका विरोध नहीं कर रहे। वहीं, डांग ने कहा था कि CAA पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए है, जो बहुत ही अच्छी बात है। गोवा में भी कॉन्ग्रेस के चार नेताओं ने इस मसले पर पार्टी छोड़ दी थी। इन नेताओं का कहना था कि पार्टी अल्पसंख्यकों खासकर, समुदाय विशेष को बरगलाने की कोशिश कर रही है।