कर्नाटक की सत्ता से बाहर होने के बाद अब पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस ने कॉन्ग्रेस से नाता तोड़ लिया है। देवगौड़ा ने सोमवार (सितंबर 16, 2019) को कर्नाटक में मध्यावधि चुनाव की भविष्यवाणी करते हुए अकेले चुनाव लड़ने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘अब यह गलती नहीं करूँगा। अब अकेले ही चुनाव लड़ा जाए।’’
कुछ दिन पहले देवगौड़ा ने कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन को जारी रखने को लेकर पार्टी की राहें खुली रखने का संकेत दिया था। लेकिन अब देवगौड़ा के हवाले से उनके कार्यालय ने बयान जारी कर कहा गया है, ‘‘राज्य में मध्यावधि चुनाव की संभावना है। अगर ऐसा होता है तो भी गठबंधन में जाए बगैर किसी के साथ के बिना अकेले चुनाव लड़ा जाए।’’
कर्नाटक में कॉन्ग्रेस जेडीएस गठबंधन की सरकार गिरने के बाद देवगौड़ा और कॉन्ग्रेस के सिद्धारमैया ने हाल ही में जुलाई में एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के गिरने के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया था। हालाँकि, देवगौड़ा ने गुरुवार (सितंबर 12, 2019) को भी संकेत दिया था कि उनकी पार्टी के दरवाजे कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन जारी रखने के लिए अभी भी खुले हैं। उन्होंने इस तरफ इशारा किया था कि वह 17 विधानसभा क्षेत्रों में कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन के लिए तैयार थे, जहाँ बागी विधायकों की अयोग्यता के बाद उपचुनाव होने हैं। उनका कहना था कि यह सब कॉन्ग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी के निर्णय पर निर्भर करता है।
कॉन्ग्रेस के विधायक दल के नेता दिनेश गुंडू राव और सिद्धारमैया सहित राज्य के कॉन्ग्रेस नेता इस बात पर कायम है कि महागठबंधन को आगे बढ़ाने का फैसला आलाकमान करेगा। हालाँकि, पार्टी के कई शीर्ष नेताओं ने हाल ही में कहा था कि पार्टी के अधिकतर बड़े नेता जेडीएस के साथ साझेदारी को समाप्त करने को लेकर खुश थी।
जेडीएस के कई विधायकों के पार्टी छोड़ने की अटकलों के बीच एच डी देवगौड़ा ने कहा कि वह इससे चिंतित नहीं हैं, क्योंकि वह जानते हैं कि पार्टी को कैसे संगठित करना है। गौड़ा ने पार्टी कार्यकर्ताओं से पिछली गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री के रूप में एच डी कुमारस्वामी द्वारा किए गए ‘अच्छे काम’ के संदेश को हर घर तक ले जाने को कहा है।
गौरतलब है कि, कॉन्ग्रेस-जेडीएस मई 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के ठीक बाद गठबंधन में आई थी। बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए कॉन्ग्रेस ने जेडीएस से अधिक सीट जीतने के बावजूद जेडीएस को मुख्यमंत्री सीट का ऑफर किया था। जेडीएस इस प्रस्ताव पर सहमत हो गई थी। जिसके बाद एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने। लेकिन इसी साल अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस-जेडीएस गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा। 28 सीटों में कॉन्ग्रेस और जेडीएस मात्र एक-एक सीट जीती।
इसके बाद कॉन्ग्रेस-जेडीएस के एक दर्जन से अधिक विधायकों ने कुमारस्वामी सरकार का साथ छोड़ दिया। विधानसभा में सरकार अल्पमत में आ गई और कुमारस्वामी को इस्तीफा देना पड़ा। एक बार फिर से बीएस येदियुरप्पा की अगुवाई में बीजेपी ने सत्ता में वापसी की।