कॉन्ग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने बिहार में हुई पार्टी की हार का ठीकरा मतदाताओं के सिर पर फोड़ा है। अपने फेसबुक पोस्ट में खुर्शीद ने कहा है कि अगर मतदाता उदारवादी मूल्यों के प्रतिरोधी हैं तो फिर उन्हें (कॉन्ग्रेस) सत्ता में लौटने के लिए लंबे संघर्षों के लिए तैयार रहना चाहिए।
3600 करोड़ रुपए के अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में नाम सामने आने के बाद सलमान खुर्शीद ने बिहार की जनता पर आरोप लगाया है कि उन्हें उदारवादी मूल्यों की कदर नहीं है। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “अगर मतदाता का मूड उन लिबरल वैल्यू को स्वीकारने का नहीं है, जिनका हम समर्थन करते हैं या जिन्हें हम पोषित करते हैं तो हमें सत्ता में लौटने के लिए छोटे रास्तों पर फोकस करने की बजाए लंबा संघर्ष करना होगा।”
https://twitter.com/TimesNow/status/1328586995506016256?ref_src=twsrc%5Etfwअपने पोस्ट में खुर्शीद ने आखिरी मुगल सम्राट की प्रशंसा की और साथ ही कपिल सिब्बल जैसे उन कॉन्ग्रेसी नेताओं पर भी अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा, जो चुनाव के बाद से पार्टी नेतृत्व की आलोचना कर रहे हैं। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा,
“जब हम अच्छा करते हैं तो निश्चित रूप से उसे बहुत हद तक बहुत आसान समझ लिया जाता है। मगर जब हम बुरा भी नहीं, बस थोड़ा कमजोर प्रदर्शन करते हैं, वह फौरन कमियाँ निकालने लगते हैं। ऐसा लगता है कि इससे भावी निराशाओं के लिए कम कमियाँ बचेंगी। क्या यह ऐसा मामला है, जहाँ एक खराब कर्मी अपना गुस्सा अपने उपकरणों पर निकाले?”
अपने पोस्ट में सलमान खुर्शीद ने पार्टी के साथियों को पार्टी की आलोचना करने से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि ये बात और है कि उनकी (कॉन्ग्रेस) राजसी राजनीति के समेकन में किसी भी वजह की तरह, समय-समय पर पुन: मूल्यांकन और रणनीति व लॉजिस्टिक में पुन: लेखन की आवश्यकता है।
आत्मनिरीक्षण की जगह कॉन्ग्रेस लगा रही इल्जाम
उल्लेखनीय है कि कॉन्ग्रेस को जिस समय में चुनावों में अपनी हार को लेकर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए, उस समय कॉन्ग्रेस अब भी बाहरी तत्वों को अपनी हार का कारण बता रही है। ऐसा लगता है जैसे विपक्षी पार्टियों के लिए यह एक नियम बन गया है कि वो चुनाव में हारने के बाद या तो ईवीएम को दोषी ठहराएँगे या फिर वोटर्स की समझ पर सवाल खड़े कर देंगे।
सब जानते हैं कि कॉन्ग्रेस ने सत्ता में लौटने के लिए महागठबंधन से हाथ मिलाया लेकिन तब भी यह युक्ति उन्हें जीत दिलाने में काम नहीं आई और उनके बेकार प्रदर्शन के कारण राजद सबसे ज्यादा सीटें लेने के बावजूद सत्ता से वंचित रही। इसी तरह गुजरात, मणिपुर, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के चुनाव में मिली हार में पार्टी के लिए चिंता का सबब थी।
याद दिला दें कि कुछ समय पहले कॉन्ग्रेस के एक अन्य पदाधिकारी ने बिहारियों को गरीब और लालची करार दिया था क्योंकि उन्होंने पार्टी को वोट नहीं दिया था। वहीं कपिल सिब्बल ने यह स्वीकारा था कि अब लोग कॉन्ग्रेस को एक प्रभावशाली नेतृत्व के तौर पर नहीं देखते हैं।
एक इंटरव्यू में अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव के अलावा कई उपचुनावों के नतीजों से यह स्फ्ष्ट है कि लोग कॉन्ग्रेस पार्टी को एक प्रभावी विकल्प नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा कि यूपी के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में कॉन्ग्रेस के उम्मीदवारों को 2% से भी कम वोट डले। गुजरात में तो कॉन्ग्रेस के तीन उम्मीदवारों ने जमानत जब्त करवा दी।