अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली की AAP सरकार में काम कर रहे 400 ‘विशेषज्ञों’ की सेवा उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने समाप्त कर दी है। नियुक्ति में कई तरह की अनियमितता सामने आने के बाद इन्हें बर्खास्त किया गया है। आरोप है कि नियमों को ताक पर रखकर और बिना विभागीय अनुमति के ये नियुक्तियाँ की गई थी। सेवा विभाग ने इन ‘विशेषज्ञ कर्मचारियों’ को हटाने का प्रस्ताव दिया था। उपराज्यपाल ने सोमवार (3 जुलाई 2023) को इसे मँजूरी दे दी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से कहा गया है कि इन नियुक्तियों में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए निर्धारित आरक्षण नीति का पालन नहीं किया गया है। उपराज्यपाल ने सभी विभागों को सेवा विभाग के आदेशों का पालन करने के लिए कहा है। आदेशों का पालन नहीं होने पर संबंधित प्रशासनिक सचिव के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई है।
जिन्हें बर्खास्त किया गया है उन्हें दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों और एजेंसियों में फेलो/सहायक फेलो, सलाहकार/उप सलाहकार, विशेषज्ञ/सीनियर रिसर्च अधिकारी और कंसल्टेंट पदों नियुक्त किया गया था। सेवा विभाग ने अपनी जाँच में पाया कि इन पदों पर नियुक्त किए गए कर्मचारियों के पास पर्याप्त योग्यता नहीं थी। नियुक्त किए गए लोग नौकरी के लिए जारी विज्ञापन में दिए गए आवश्यक मानदंडों को पूरा नहीं कर रहे थे। इसके अलावा संबंधित विभागों ने इनके अनुभव प्रमाण-पत्र को वेरिफाई भी नहीं किया था। जाँच में कई के अनुभव प्रमाण-पत्र फर्जी पाए गए।
सेवा विभाग की जाँच में यह भी सामने आया कि पुरातत्व, पर्यावरण, दिल्ली अभिलेखागार तथा महिला एवं बाल विकास जैसे विभागों ने इन कर्मचारियों को नियुक्त तो कर लिया, लेकिन इसके लिए संबंधित अधिकारियों से मँजूरी नहीं ली। कुल 69 कर्मचारी बिना किसी अनुमति के पुरातत्व, पर्यावरण, दिल्ली अभिलेखागार, महिला और बाल विकास और उद्योग विभाग में काम कर रहे थे। इसके अलावा, दिल्ली सरकार के 13 बोर्डों में भी 155 लोगों की नियुक्ति के लिए किसी भी प्रकार की आवश्यक मँजूरी नहीं ली गई थी। यही हाल दिल्ली एसेंबली रिसर्च सेंटर, डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमिशन ऑफ दिल्ली और डिपार्टमेंट ऑफ प्लानिंग का है। इन विभागों में 187 लोगों को नौकरी पर रखा गया था। लेकिन इसकी जानकारी सेवा विभाग को नहीं दी गई थी।
इस मामले में BJP का कहना है कि इन नियुक्तियों के में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। दिल्ली बीजेपी प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है, “400 पदों पर नियुक्त किए गए लोग कोई विशेषज्ञ नहीं थे। ये लोग सीएम अरविंद केजरीवाल के खास व्यक्ति थे।” उन्होंने कहा कि ये नियुक्तियाँ अपने आप में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हैं। इसके पीछे सीएम केजरीवाल और अन्य मंत्रियों का हाथ है। कर्मचारियों को बर्खास्त करना पर्याप्त नहीं है। दिल्ली सरकार द्वारा उन लोगों को दिए गए वेतन की भी वसूली होनी चाहिए। वहीं, दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने एक बयान में कहा है कि उपराज्यपाल के पास इन लोगों को नौकरी से निकालने का कोई अधिकार नहीं है। वह असंवैधानिक रूप से काम कर रहे हैं। उपराज्यपाल के इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।