लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। चुनाव आयोग ने इस बार लोकसभा चुनाव को 7 चरणों में करवाने का फैसला किया है। लोकसभा का चुनावी समर 11 अप्रैल से शुरू होकर 19 मई तक चलेगा जबकि 23 मई को मतों की गणना होगी। चुनाव आयोग भले EVM के साथ VVPAT लगवा दे, कितना भी निष्पक्ष हो ले… लेकिन कुछ लोगों का काम है सवाल खड़े करना सो बेचारे करते हैं। अबकी बार सवाल है रमजान का!
https://twitter.com/KhanAmanatullah/status/1104757548094238720?ref_src=twsrc%5Etfwजी हाँ। रमजान पर राजनीति हो रही है। चुनाव आयोग को घेरा जा रहा है। बीजेपी को फायदा दिलाने का आरोप आयोग पर लगाया जा चुका है। आम आदमी पार्टी से लेकर टीएमसी तक बिना वजह रमजान पर राजनीति कर रहे हैं। जो इस पर राजनीति कर रहे हैं उनका (कु)तर्क यह है कि 5 मई से शुरू होकर 4 जून तक रमजान चलेगा। और इसी बीच पाँचवें से लेकर सातवें चरण (पाँचवा फेज- 6 मई, छठा फेज- 12 मई, सातवाँ फेज- 19 मई) का चुनाव भी होगा।
https://twitter.com/ANI/status/1104937066356387843?ref_src=twsrc%5Etfwऐसे तर्क देने वाले मानसिक रोगी ही हो सकते हैं और कुछ नहीं। क्योंकि रमजान हो या होली या फिर हो क्रिसमस… कोई भी आवश्यक काम न तो कभी रुकता है न कभी रोका जाएगा। ऐसा होता तो इन दिनों पुलिस, रेल, अस्पताल सब जगह छुट्टी होती! लेकिन ऐसा होता नहीं है। क्योंकि पर्व-त्योहार उत्सव है, आवश्यकता नहीं कि इसके लिए जीवन-मरण की नौबत आ जाए।
जो लोग लोकतंत्र में आस्था रखते हैं, उन्हें इसकी अहमियत पता है। बीजेपी अखिल भारतीय अल्पसंख्यक मोर्चा के सचिव अरशद आलम ने ऐसे लोगों को अपने तर्क से पस्त कर दिया है। रमजान है इसका मतलब यह तो नहीं कि आप पूरे महीने घर में बिताते हैं, बिना कोई काम किए।
https://twitter.com/scribe_prashant/status/1104802916009943044?ref_src=twsrc%5Etfwमौलाना साहब को अब कौन समझाए! जिन्हें न लोकतंत्र की समझ है न ही राजनीति की और न ही देश की जनसंख्या और भूगोल की… वो चले चुनाव आयोग को तारीखें बदलने की सलाह देने। अपने आस-पास देखिए मौलाना साहब। रमजान के दौरान न तो कोई समुदाय विशेष वाला दुकान बंद करता है और न ही कोई मजहबी मजदूर कुदाल-फावड़ा चलाने छोड़ता है। रमजान चलता रहता है, साथ में चलती रहती है जिंदगी।
https://twitter.com/GauravPandhi/status/1104747884908605441?ref_src=twsrc%5Etfwब्लू-टिकधारी लोग भी नेताओं के साथ कूद गए हैं चुनाव आयोग के विरोध में। गिरोह में बने रहने के लिए और अपनी दुकान चलाने के लिए इतना तो खैर बनता है! हालाँकि कुछ लोगों ने इन जैसों को बढ़िया आईना दिखाया है – एकदम चौंधिया गए होंगे (अगर पढ़े होंगे तो)। मोदी के पक्ष में या विरोध में – वोट करने जाना है, इसमें रमजान कहाँ से घुसा दिए भाई?