ये हमारे कार्यकर्ता नहीं, माओवादी हैं: केरल के CM पिनराई विजयन ने एलन सुहैब, थाहा फज़ल से पल्ला झाड़ा

पिनराई विजयन (फाइल फोटो)

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने माओवाद फ़ैलाने के आरोपित एलन सुहैब और थाहा फज़ल से पल्ला झाड़ लिया है। उन्होंने इन दोनों को अपनी पार्टी माकपा के कार्यकर्ता मानने से इंकार कर दिया है। मीडिया से तिरुवनंतपुरम में बात करते हुए आज (शनिवार, 7 दिसंबर, 2019 को) मुख्यमंत्री ने कहा, “कौन पार्टी कार्यकर्ता?… वे माकपा के कार्यकर्ता नहीं हैं, बल्कि माओवादी हैं। इस बात की जाँच हुई है और यह बात (कि वे माकपा कार्यकर्ता नहीं हैं) सही साबित हुई है। सवालों का जवाब दे रहे थे जिनमें इन दोनों को उनकी पार्टी का कार्यकर्ता बताते हुए उन्हें अदालत से ज़मानत न मिलने के बारे में उनकी प्रतिक्रिया माँगी गई थी।

गौरतलब है कि माकपा के कार्यकर्ता बताए जा रहे एलन सुहैब और थाहा फज़ल को 1 नवंबर, 2019 को माओवाद का समर्थन करने वाले पर्चे रखने और बाँटने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था। इन दोनों की गिरफ़्तारी यूएपीए कानून के तहत हुई है, जिसमें हाल ही बदलाव कर मोदी सरकार ने संगठनों के साथ-साथ व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित किए जाने के प्रावधान जोड़े हैं। केरल के विपक्षी दलों (कॉन्ग्रेस विधानसभा में प्रमुख विपक्षी दल है) ने इस कार्रवाई का कड़ा विरोध किया था

एलन सुहैब और थाहा फ़ज़ल को पंथीरनकवु से हिरासत में ले लिया गया था। उन पर सेक्शन-20 (एक आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होने की सज़ा), 38 (आतंकवादी संगठन की सदस्यता से संबंधित अपराध) और 39 (ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियों के लिए आतंकवादी संगठन को समर्थन देने से संबंधित अपराध) के तहत मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने ख़ुलासा किया था कि सुहैब और फ़ज़ल की तलाशी के दौरान उन्होंने माओवादी विचारधारा को बढ़ावा देने वाले पर्चे बरामद किए। साथ ही पुलिस ने उनके साथ मौजूद तीसरे ऐसे व्यक्ति की तलाश तेज़ करने की बात कही, जो पुलिस बल को देखकर मौके से भाग गया था।

एलन सुहैब और थाहा फ़ज़ल पर आरोप था कि वे अपनी गिरफ़्तारी के दो दिन पहले पलक्क्ड़ में अक्टूबर माह में मारे गए संदिग्ध माओवादियों के एनकाउंटर के विरोध के नाम पर माओवादी पर्चे बाँट रहे थे। इस एनकाउंटर के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल उच्च न्यायालय ने इसकी जाँच की अनुशंसा तो की, लेकिन इस बात पर भी ज़ोर दिया कि जाँच की अनुशंसा भर को इस मुठभेड़ में कुछ संदेहास्पद या अवैध होने का सबूत न मान लिया जाए। अदालत अपना रुख मामले की जाँच रिपोर्ट आने के बाद ही ज़ाहिर करेगी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया