CAA के विरोध में बुर्के में जुटी महिलाएँ, शरद पवार की बेटी ने कहा- तीन तलाक अच्छा

CAA विरोधी सभा को संबोधित करतीं NCP सांसद सुप्रिया सुले

एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की सांसद बेटी सुप्रिया सुले की नजर में तीन तलाक महिलाओं के अच्छा है। मुंबई में शुक्रवार को नागरिकता संशोधन कानून CAA के विरोध में आयोजित एक रैली के दौरान कुरान का हवाला देते हुए उन्होंने इसे अच्छा बताया है।

शारद पवार की बेटी ने यह बयान YMCA मैदान में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए दिया। इस सभा में ज्यादातर महिलाएँ बुर्क़ा पहने हुए आई थीं जो कि एक बार फिर CAA के विरोध के पीछे छुपे हुए इस्लामिक एजेंडा को दर्शाता है।

सुप्रिया सुले ने कहा कि आम लोगों से मिलने जब वो एक बार बाजार में घूम रही थीं तो उन्होंने लोकसभा में अपने भाषण से पहले कुछ महिलाओं से हिजाब की एक दूकान में ट्रिपल तलाक़ पर उनकी राय जानने की कोशिश की। NCP नेता ने कहा कि वो एक ऐसी महिला से मिलीं जो पूरी तरह से बुर्क़ा पहने हुए थीं, वो एक डॉक्टर थी और उसकी बेटी भी डॉक्टर थी।

सुले ने कहा कि जब उसने बुर्का पहने हुए डॉक्टर महिला से पुछा कि ट्रिपल तलाक़ रहना चाहिए या नहीं तो डॉक्टर ने कहा कि रहना चाहिए। फिर सुले ने उस महिला से पूछा कि जब उनके पति को गुस्सा आता है तो वे क्या करती हैं? इस सवाल पर डॉक्टर नाराज हो गई और पीछे बैठ गई।

इसके बाद सुप्रिया सुले ने महिला से ट्रिपल तलाक की अहमियत के बारे में पुछा। तो महिला ने बताया कि उसका नाम किरण कुलकर्णी है और उसने एक मुस्लिम से शादी की है। शादी के बाद उसने क़ुरान पढ़ी। महिला ने सुप्रिया सुले से कहा- “मैं पूरी क़ुरान जानती हूँ। इससे मुझे पता चला है कि ट्रिपल तलाक़ जैसी व्यवस्थाएँ होनी चाहिए। और मैं मानती हूँ कि किसी को भी इसके लिए जेल नहीं भेजा जाना चाहिए।”

घटना के बारे में बताते हुए सुप्रिया सुले ने कहा- “मेरे पति जैसे भी हों, वो मेरे पति और मेरे बच्चों के पिता हैं और उन्हें कोई जेल नहीं भेज सकता। अगर घर में कोई मतभेद हो जाता है तो हम इसे खुद निपटाएँगे।” उसने कहा कि रिश्तेदार उसके पति को मामला सुलझाने की सलाह देंगे क्योंकि घर के मुद्दे बाहर नहीं जाने चाहिए। उसने कहा कि एक महिला अपने पति को कभी भी जेल नहीं भेजेगी।

CAA विरोध में बैठी इस सभा में ज्यादातर महिलाएँ बुर्के में थी

सुप्रिया सुले ने कहा कि अगर कोई महिला अपने पति (तीन तलाक देने के बाद) को इस कारण से जेल भेजती है, तो समाज उसकी बुराई करेगा, लोग उनके बच्चों से कहेंगे कि उनकी माँ बुरी महिला है जिसने अपने पति को जेल भेजा। सुप्रिया सुले के अनुसार, उस महिला ने सुले से कहा कि हर कम्युनिटी को अपने नियम बनाने का अधिकार है और सरकार को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। महिलाएँ खुद यह तय करेंगी कि उनके लिए क्या अच्छा और क्या बुरा है। जैसे कि CAA और NRC हम लोगों के लिए बुरा है।

ट्रिपल तलाक़ के खिलाफ बोलते हुए यह पहली बार नहीं है जब सुप्रिया सुले ने किरण कुलकर्णी, जिसका कि अब हिना नाम है, का जिक्र किया हो। दिसंबर 2018 में लोकसभा में अपने भाषण के दौरान भी सुप्रिया सुले ने जिक्र किया था कि किस तरह से एक हिन्दू महिला ने मुस्लिम से शादी करने के बाद क़ुरान के अनुसार तीन तलाक़ को जरूरी बताया था।

यह भी दिलचस्प बात है कि सुप्रिया सुले ने एक ऐसी महिला का उदाहरण दिया जो पढ़ी-लिखी है और वह भी शरिया कानून को मानते हुए ट्रिपल तलाक की व्यवस्था का समर्थन करती है। अक्सर देखा जाता है कि एक आर्थिक रूप से समर्थ परिवार में ट्रिपल तलाक जैसे मामले कम ही देखे जाते हैं। ट्रिपल तलाक से वास्तविक पीड़ित महिलाएँ ज्यादातार अनपढ़ या फिर आर्थिक रूप से बदहाल परिवारों से होती हैं। ट्रिपल तलाक जैसे प्रचलनों से उन्हीं का सबसे ज्यादा शोषण भी होता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया