यूपी में नकल माफियाओं पर शिकंजा कसने के बाद बोर्ड की परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों के आँकड़ों में काफ़ी ज्यादा फर्क देखने को मिला है। 2017 में जहाँ बाहरी छात्रों की संख्या 1.15 लाख थी वह 2018 में 1.12 लाख हुई और 2019 में इन छात्रों की संख्या केवल 6300 ही रह गई है।
यूपी में बोर्ड की परीक्षाएँ शुरू हो चुकी हैं। शिक्षा विभाग की सख्ती के कारण नकल माफियाओं ने परीक्षा से दूरी बनाई हुई हैं। परिणाम, अबतक दसवीं और बाहरवीं के क़रीब 6 लाख से ज्यादा छात्र परीक्षा छोड़ चुके हैं। यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएँ 7 फरवरी से शुरू होकर 2 मार्च को खत्म होने वाली हैं।
यूपी बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव का कहना है कि पहले के मुकाबले इस साल नेपाल और आसपास के कई राज्यों से होने वाले पंजीकरण में कमी आई है। उनका कहना है कि ये लोग नकल के कारण यहाँ पर आते थे, लेकिन सख़्ती होने की वजह से इन छात्रों की संख्या में भारी गिरावट हुई।
इस साल यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए कुल 58,06,922 छात्रों ने अपना पंजीकरण कराया था। इनमें 10वीं के ही 31,95,603 छात्र हैं। और परीक्षा छोड़ने वाले अधिकतर छात्र भी 10वीं के ही हैं।
बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में नकल के इतिहास को देखते हुए 21 फीसदी परीक्षा केंद्रों को संवेदनशील और अतिसंवेदनशील घोषित किया गया था। इस साल परीक्षा विभाग की कड़ी निगरानी, उत्तर प्रदेश एसटीएफ के कड़े पहरे और बारकोड कॉपियों के बावजूद भी शुरूआती 9 दिनों में ही क़रीब 252 नकल करने वाले पकड़े गए हैँ।