J&K पर अब केंद्र की चलेगी, 1954 के संवैधानिक आदेश और 2004 के अधिनियम में संशोधन

मोदी सरकार का J&K के लोगों के लिए अहम निर्णय

जम्मू एवं कश्मीर पर केंद्र सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कल गुरुवार (फरवरी 28, 2019) को आरक्षण संशोधन अध्यादेश 2019 को स्वीकृति प्रदान कर दी। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस बैठक में संशोधन अध्यादेश को राष्ट्रपति द्वारा जारी करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी। इसके लिए 1954 के संवैधानिक आदेश के साथ 2004 के अधिनियम में भी संशोधन करने की बात कही गई है।

जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सरकार का अहम फ़ैसला

सरकार ने कहा है कि एक बार अध्यादेश जारी होने के बाद, यह वास्तविक सीमा रेखा से सटे क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों को बराबर में लाने के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। जम्मू और कश्मीर में भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10% आरक्षण वाला प्रावधान लागू कर दिया गया।

प्रेस रिलीज (साभार: पीआईबी)

इससे जम्मू-कश्मीर के ऐसे युवाओं को राज्य सरकार की नौकरियाँ पाने का मौक़ा मिलेगा, जो किसी भी धर्म या जाति से संबंधित आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से हैं। ज्ञात हो कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10% आरक्षण जनवरी 2019 में 103वें संविधान संशोधन के माध्यम से देश के बाकी हिस्सों में लागू किया गया था। यह सरकार में पहले से ही मौजूद आरक्षण के अतिरिक्त होगा।

अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को प्रमोशन देने के लाभ (जिसमें गुर्जर और बकरवाल शामिल हैं) को भी जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए लागू किया गया है। 24 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद, 1995 का 77वाँ संविधान संशोधन अब जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए लागू कर दिया गया है।

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जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन के माध्यम से राज्य सरकार की नौकरियों में आरक्षण वाले प्रावधान के भीतर नियंत्रण रेखा के पास रहने वाले लोगों के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले लोगों को भी लाया गया है। इससे पहले 3% आरक्षण का प्रावधान केवल 6 किलोमीटर के भीतर रहने वाले युवाओं के लिए उपलब्ध था (जम्मू-कश्मीर में एलओसी के)। अब यह प्रावधान अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले लोगों के लिए भी लागू होगा। यह अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाली आबादी की लंबे समय से लंबित मांग है, क्योंकि वे जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से गोलीबारी का खामियाजा भुगत रहे हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया