पाकिस्तान के एक नेता ने सिखों के खिलाफ विवादित बयान देते हुए करतारपुर कॉरिडोर पर भी विवादित टिप्पणी की है। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के संस्थापक और नेता खादिम हुसैन रिज़वी ने एक भाषण में कहा कि जिसे सिखों से ज्यादा प्यार हो वह सरहद पार अमृतसर चले जाएँ।
एक रिपोर्ट के मुताबिक रिज़वी वही नेता हैं, जो पूरे पाकिस्तान में अपने हिंसक प्रदर्शनों के लिए सुर्ख़ियों में आए थे। इन प्रदर्शनों में करीब 200 लोग घायल हो गए थे जबकि 6 लोगों की इस दौरान मौत हो गई थी। रिज़वी के इशारे पर वहाँ यह आंदोलन सरकार के एक फैसले के विरोध में हुआ था। उस फैसले को लेकर यह आरोप भी लगाया गया था कि वह पाकिस्तान के प्रताड़ित अहमदिया सम्प्रदाय के पक्ष में था।
दरअसल यह निर्णय शपथ लेने के सम्बन्ध में था, जिसमें पैगम्बर मोहम्मद के नाम की जगह किए जाने वाले बदलाव के चलते मामले ने तूल पकड़ लिया था। हालाँकि वहाँ की सरकार ने जनता के गुस्से को भाँपते हुए अपने इस निर्णय को एक गलती कहकर वापस ले लिया था। मगर यह प्रदर्शन कानून मंत्री के इस्तीफ़ा देने तक नहीं थमा था। इस फैसले के लिए कानून मंत्री पर ईशनिंदा के आरोप भी लगे थे।
बता दें कि जब पिछले साल आसिया बीबी पर ईशनिंदा के आरोप लगे थे, रिज़वी ने उस वक़्त भी ऐसे ही प्रदर्शन करने का ऐलान किया था हालाँकि तब उन्हें और उनकी पार्टी के दर्जन भर लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था। रिज़वी पर आतंकवाद के तहत मुक़दमे भी हुए थे।
पैगम्बर मुहम्मद पर कार्टून कम्पटिशन का ऐलान करने के लिए एक पुर्तगाली नेता गीर्त विल्डर्स के खिलाफ भी रिज़वी ने प्रदर्शन करने का ऐलान किया था। इस दौरान रिज़वी ने विल्डर्स को लेकर एक फतवा भी जारी कर दिया था। साथ ही उनकी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान ने माँग की थी कि पुर्तगाली राजदूत को तुरंत देश छोड़ देने के लिए कह देना चाहिए। रिज़वी के इस कदम से नीदरलैंड के साथ पाकिस्तान के सम्बन्ध भी काफी तनावपूर्ण हो गए थे।
आपको बता दें कि आतिश तासीर के पिता सलमान तासीर के हत्यारे मुमताज़ कादरी की फाँसी के बाद यह पार्टी अस्तित्व में आई थी। इसके लिए रिज़वी ने उसका काफी समर्थन किया था और उसकी रिहाई के लिए कई प्रदर्शन भी किए थे।