14 साल की लड़की का अपहरण: जबरन धर्म परिवर्तन… फिर किडनैपर अब्दुल से ही निकाह

हुमा यूनुस (फोटो साभार: @nailainayat)

पाकिस्तान में जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएँ रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। एक ओर जहाँ पाकिस्तानी लड़कियाँ चीन भेजी जा रही हैं तो वहीं उस मुल्क में रहने वाली दूसरे धर्म की लड़कियाँ भी सुरक्षित नहीं हैं। ताजा मामला कराची का है, जहाँ 14 साल ही ईसाई नाबालिग लड़की हुमा यूनुस का पहले अपहरण किया गया फिर जबरन धर्म परिवर्तन किया गया। और तो और, अपहरण के आरोपित अब्दुल जब्बार से ही उसका निकाह भी करा दिया गया।

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हुमा 8वीं कक्षा में पढ़ती है। पहले हुमा को किडनैप किया गया फिर उन्हें डेरा गाजी खान ले जाया गया है और जबरन धर्म परिवर्तन कराने के बाद अपहरण करने वाले अब्दुल जब्बार से उसका निकाह करा दिया गया। इसके बाद बड़े ‘शान’ से और ‘हिम्मत’ के साथ निकाह के कागज हुमा के माता-पिता के पास भेज दिया गया – यह इसलिए क्योंकि समझ जाओ कि बेटी अब दूसरे की हो गई, लापता-मिसिंग-कोर्ट-कचहरी जाने का कोई फायदा नहीं! लेकिन हुमा की माँ ने इस मामले में डर कर बैठने के बजाय अदालत जाना उचित समझा। पाकिस्तान की पत्रकार नायला इनायत ने इस संबंध में ट्वीट भी किया है।

अदालत में सुनवाई के बाद हुमा की माँ नगीना यूनुस ने सवाल किया कि क्या पाकिस्तान में अपहरण और धर्म परिवर्तन ही उनका भविष्य है? अगर ऐसा ही है तो क्या ईसाई माताओं को अपनी बेटियों को मार देना चाहिए? अदालत में कहा गया कि लड़की 18 साल की है, जबकि उनकी माँ का कहना है कि वो 14 साल की है। उनका जन्म 2005 में हुआ है। नगीना ने कहा कि उनकी शादी 2004 में हुई थी और 2005 में हुमा का जन्म हुआ है।

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इसके साथ ही नगीना ने बताया कि जब्बार उसे फोन और मैसेज के जरिए धमकियाँ दे रहा है कि वो चाहे तो ईसाई समुदाय की पूरी बिरादरी ही क्यों न इकट्ठी कर ले… वो उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। वो सवाल करती हैं, “क्या ये इस्लामिक मुल्क है तो यहाँ हमारा कुछ भी नहीं हो सकता? या फिर हम अपनी बच्चियों को पैदा होते ही उनका गला घोंट कर मार दें? नहीं तो वो आएँगे और हमारी बच्चियाँ ले जाएँगे और हम कुछ नहीं कर पाएँगे।” उनका कहना है कि उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, बिलावल भुट्टो और सेना प्रमुख बाजवा से मदद की गुहार भी लगाई है।

हालाँकि पाकिस्तान में जबरन धर्म परिवर्तन का यह पहला मामला नहीं है। पड़ोसी मुल्क से ऐसी खबरें लगातार ही सामने आती रहती हैं। 4 सितंबर को भी लाहौर के पंजाब प्रांत 15 साल की एक ईसाई लड़की जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया था। बता दें कि पीड़ित ईसाई लड़की जिस स्कूल में पढ़ती थी, वहाँ की प्रिंसिपल सलीमा बीबी ने ही उसका धर्म परिवर्तन करवाया था। सलीमा बीबी ने शेखपुरा जिले के एक मदरसे में लेकर जाकर उसका धर्मांतरण किया गया।

उल्लेखनीय है कि 3 सितंबर को पाकिस्तान के सिंध प्रांत में दो हिंदू लड़की को अगवा कर उनका धर्म परिवर्तन करवाया गया था। इससे पहले एक सिख युवती को भी अगवा कर उसका धर्म परिवर्तन करवाने के बाद उसकी मोहम्मद हसन से शादी करवा दी गई, जो कि हाफ़िज़ सईद के आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा का सदस्य है।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय यानी हिंदुओं, सिखों, ईसाईयों, अहमदियों और शियाओं पर अत्याचार की घटनाएँ आम है। हिंदू, सिख और ईसाई लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाकर निकाह करवाने को मजबूर किया जाता है। खुद पाकिस्तान के विपक्षी दल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी ने बीते दिनों कहा था कि पाकिस्तान सबसे बुरी किस्म की असहिष्णुता का सामना कर रहा है। अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न को लेकर पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बार आलोचना हो चुकी है। भारत भी कई मंचों से वहॉं अल्पसंख्यकों की दुर्दशा का मसला उठा चुका है। हालॉंकि पाकिस्तान इन आरोपों को नकारता रहता है। लेकिन, हुमा के साथ घटे वाकये ने एक बार उसकी धार्मिक असहिष्णुता उजागर कर दी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया