स्वीडन में शुक्रवार (अगस्त 28, 2020) को कुरान जलाने की घटना सामने के बाद इस्लामिक भीड़ ने वहाँ जम कर हिंसा की। अल्लाह हू अकबर के नारों के साथ भीड़ ने पत्थरबाजी की। सड़कों को जाम करके आगजनी की कोशिश की गई। इसी बीच नॉर्वे में भी स्वीडन जैसी एक रैली निकाले जाने की खबर अगले ही दिन सामने आई।
जानकारी के मुताबिक, नॉर्वे की राजधानी ओसलो में शनिवार को यह रैली निकाली गई। इस रैली को Stop Islamisation of Norway (SIAN) नामक समूह ने आयोजित किया। ये रैली संसद की बिल्डिंग के पास निकाली गई। सैंकड़ों लोग इसमें शामिल हुए। यहाँ रैली का विरोध करने वाले भी आए। मगर, पुलिस ने उन्हें उस समय रोक दिया।
रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि धुर दक्षिणपंथियों का यह प्रदर्शन करीब दो घंटे तक चला। स्टॉप इस्लामाइजेशन ऑफ नार्वे के नेता लार्स थोर्सन ने वहाँ इस्लाम विरोधी कई बयान दिए। उन्होंने पैगंबर के बारे में बातें कहीं और संस्था के लोग नारेबाजी करते रहे।
न्यूज एजेंसी एनटीबी ने दावा किया कि इस रैली में एक SIAN की एक महिला सदस्य ने पहले पवित्र कुरान के पन्नों को फाड़ा और फिर उन पर थूक भी दिया। इसके अलावा उसने दूसरे पक्ष के प्रदर्शनकारियों से यह भी कहा, “देखों अब मैं कुरान को अपवित्र कर दूँगी।”
इसके बाद इस्लाम समर्थकों ने पुलिस के बैरिकेडिंग को तोड़ दिया और स्टॉप इस्लामाइजेशन ऑफ नार्वे के समर्थकों से भिड़ गए। दोनों के बीच जमकर मारपीट हुई। हालाँकि, बाद में प्रशासन ने पेपर स्प्रे और टियर गैस का इस्तेमाल करके दोनों समूहों को अलग कर दिया।
पुलिस ने इस संबंध में 29 लोगों को गिरफ्तार भी किया। जबकि एक व्यक्ति घायल हो गया। कहा जा रहा है कि भड़काऊ बातें करने वाली महिला पर पहले ऐसे प्रोटेस्टों में हेट स्पीच के आरोप लग चुके हैं।
स्वीडन के मालमो में शुक्रवार की घटना के बाद नॉर्वे में यह मामला प्रकाश में आया था। स्वीडन में दक्षिणपंथियों द्वारा कुरान की प्रति जलाने के बाद हिंसा भड़की थी और इस्लामिक भीड़ ने काफी तबाही मचाई थी। वहीं इससे पहले नवम्बर 2019 में भी नार्वे में इस्लाम के ख़िलाफ़ हुई रैली में एक व्यक्ति ने कुरान जला दी थी, जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया था।
यहाँ बता दें कि पाकिस्तान ने नॉर्वे और स्वीडन में हुई इन घटनाओं की निंदा करते हुए रविवार को अपना बयान जारी किया और कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मजहबी नफरत को जस्टिफाई नहीं कर सकती। इसके अलावा विदेश कार्यालय के प्रवक्ता जाहिर हाफिज चौधरी ने कहा, “इस तरह से इस्लामोफोबिक घटनाओं की बढ़ोतरी किसी भी मजहब की भावना के ख़िलाफ़ है।”
उन्होंने आगे कहा, “दूसरों की धार्मिक मान्यताओं के लिए सम्मान सुनिश्चित करना एक सामूहिक जिम्मेदारी है और वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए बिल्कुल महत्वपूर्ण है।”
#Pakistan strongly condemns the recent incidents of desecration of Holy Quran in Malmo #Sweden & Oslo #Norway.
— Spokesperson 🇵🇰 MoFA (@ForeignOfficePk) August 30, 2020
The rise of such Islamophobic occurrences goes against the spirit of any religion. Freedom of speech can’t justify religious hatred. 1/2