जितने करीब नहीं बैठ पाते दूसरे देशों के ‘राष्ट्रपति’ उससे ज्यादा नजदीक पुतिन ने भारत के विदेश मंत्री को बैठाया: PM मोदी से मिलने को बेताब, रूस आने का दिया न्योता

राष्ट्रपति पुतिन और विदेश मंत्री जयशंकर की मुलाक़ात

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मॉस्को में मुलाकात की है। इस दौरान दोनों के बीच कई मुद्दों पर चर्चा हुई। विदेश मंत्री जयशंकर इस समय रूस के पाँच दिवसीय दौरे पर हैं, यहाँ उन्होंने अपनी यात्रा के तीसरे दिन राष्ट्रपति पुतिन के साथ मुलाकात की।

राष्ट्रपति पुतिन की विदेश मंत्री जयशंकर से यह मुलाक़ात कई मायनों में विशिष्ट रही और भारत रूस की दोस्ती को दर्शाने वाली रही। सामान्यतः राष्ट्रपति पुतिन किसी भी देश के विदेश मंत्री से नहीं मिलते हैं। विदेश मंत्रियों से मुलाकात का जिम्मा रूस के विदेश मंत्री सर्जेई लावरोव के जिम्मे है।

हालाँकि, भारत से नजदीकियों के चलते यह प्रोटोकॉल दरकिनार किया गया और वह विदेश मंत्री जयशंकर उनसे मिले। इस दौरान उनकी और राष्ट्रपति पुतिन की बातचीत के दौरान बैठने के इंतजाम की तस्वीरें भी वायरल हुईं और इनके अलग-अलग अर्थ निकाले गए।

राष्ट्रपति पुतिन और विदेश मंत्री जयशंकर बातचीत की मेज पर (चित्र साभार: Sidhant/X)

दरअसल, जब विदेश मंत्री जयशंकर और राष्ट्रपति पुतिन मिले तो वह बातचीत की मेज पर आमने सामने बैठे थे। साधारणतः, राष्ट्रपति पुतिन की अन्य वैश्विक नेताओं से मुलाक़ात में वह उन्हें एक मेज के दूसरे सिरे पर बैठाते हैं, जो कि काफी दूर होता है। इसको लेकर कई बार सोशल मीडिया पर बहस भी छिड़ चुकी है।

राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति मेक्रों की मुलाकात (चित्र साभार: Reuters)

उनकी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के साथ भी ऐसी ही तस्वीर सामने आ चुकी है जिसमें वह मेज के एक सिरे और राष्ट्रपति मैक्रों दूसरे सिरे पर बैठे हैं। ईरान के राष्ट्रपति और जर्मनी के चांसलर के साथ भी उनकी ऐसी ही तस्वीरें देखने को मिली थी।

राष्ट्रपति पुतिन और विदेश मंत्री जयशंकर के बीच भारत-रूस रिश्तों को लेकर कई मुद्दों पर बातचीत हुई। विदेश मंत्री जयशंकर ने प्रधानमंत्री मोदी का भारत रूस के रिश्तों की गहराई को दिखाते हुए लिखा गया एक पत्र भी राष्ट्रपति पुतिन से साझा किया।

इस दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने राष्ट्रपति पुतिन को बताया कि दोंनों देशों के बीच का व्यापार अब 50 बिलियन डॉलर (लगभग ₹45,000 करोड़) पार कर चुका है और यह केवल शुरुआत है। इस दौरान विदेश मंत्री ने रूस के साथ कुडनकुलम परमाणु संयंत्र को लेकर रूस के साथ हुए समझौते का जिक्र भी किया।

वहीं राष्ट्रपति पुतिन ने भारत और रूस के रिश्तों में बढ़त को लेकर ख़ुशी जताई। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा भी की कि वह इन कठिन समय में लगातार बिना किसी दबाव में आए काम कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को पुराना दोस्त बताते हुए रूस आने का न्योता भी दिया। उन्होंने कहा- “मुझे अपने दोस्त प्राइम मिनिस्टर मोदी को रूस में देख बहुत खुशी होगी” विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी खुद भी 2024 में रूस आना चाहते हैं।

राष्ट्रपति पुतिन से मिलने से पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्जेई लावरोव के साथ बैठक की और एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। लावरोव ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया और भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान आए निर्णयों पर प्रसन्नता जताई। विदेश मंत्री जयशंकर ने रूस को अच्छे और बुरे समय में साथ देने वाला दोस्त बताया।

गौरतलब है कि भारत और रूस के रिश्ते बीते कुछ वर्षों में और भी मजबूत हुए हैं। यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे संघर्ष के चलते पश्चिमी देशों ने रूस का बायकाट कर रखा है। हालाँकि, भारत ने इस युद्ध को लेकर एक बार भी रूस की खुल कर आलोचना नहीं की है। भारत ने युद्ध के बाद से पश्चिमी देशों और अमेरिका के दबाव के बाद भी रूस से लगातार कच्चा तेल खरीदना भी जारी रखा है। भारत ने इस नीति को ‘सामरिक स्वायतत्ता’ का नाम दिया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया