अफगानिस्तान की जेल में बंद केरल की निमिशा उर्फ फातिमा की माँ को उम्मीद है कि मोदी सरकार उनकी बेटी को माफ कर देगी और उसे वापस भारत लाएगी। फातिमा का शौहर इस्लामिक स्टेट (आईएस) का आतंकी था। वह एक हमले में मारा गया था, जिसके बाद से फातिमा अफगानिस्तान की जेल में बंद है।
फातिमा की माँ बिंदू संपत ने कहा, ”मैंने सुना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत दयालु इंसान हैं। मुझे उन पर पूरा भरोसा है।” उन्होंने यह प्रतिक्रिया मीडिया में आई उन खबरों पर दी है, जिसमें कहा गया है कि केंद्र की मोदी सरकार उनकी बेटी और तीन अन्य आईएस आतंकियों की भारतीय मूल की विधवाओं को भारत लाने की इच्छुक नहीं है। ये चारों महिलाएँ अभी काबुल की जेल में बंद हैं।
संपत ने कहा कि इस मामले पर सरकार की ओर से उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई है। सरकार का इस मुद्दे में रुचि न दिखाना केंद्र की एक राय भी हो सकती है, लेकिन मैं बहुत आशावादी हूँ। सरकार के अंदर अन्य विचार भी हो सकते हैं और मैं उस तरफ देख रही हूँ।
उन्होंने कहा कि मुझे भगवान पर पूरा विश्वास है। वो उनकी बेटी की वापसी के लिए कोई न कोई स्थिति जरूर बनाएँगे। फाातिमा की माँ ने कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर उन्हें इस संबंध में ज्ञापन सौंपना चाहती हैं, लेकिन इसमें कोई उनकी मदद नहीं कर रहा है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भी किया ईमेल
संपत ने कहा कि इस साल सितंबर में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद उसकी बेटी के तालिबान के कब्जे में जाने का डर है। मैंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भी इस बारे ईमेल किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
कानून की मदद लेने की बात कही
संपत ने कहा कि अगर मेरी बेटी की वापसी के लिए सरकार से मदद माँगने की सभी कोशिशें नाकाम हो जाएँगी, तो मैं कानून का सहारा लूँगी। मैंने सुप्रीम कोर्ट के कुछ वकीलों से मुलाकात की है। उन्होंने कहा है कि उनके पास कानूनी विकल्प है।
हिंदू से मुस्लिम बनी थी निमिशा
निमिशा संपत पहले हिंदू थी, लेकिन बाद में उसने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया और अपना बदलकर फातिमा रख लिया था। उसने इस्लामिक स्टेट (ISIS) के केरल के कथित आतंकी से निकाह कर लिया था। दोनों 19 अन्य लोगों के साथ जून, 2016 में फरार हो गए थे और अफगानिस्तान में आईएस के कब्जे वाले इलाके में पहुँच गए थे। यहाँ फातिमा ने एक बच्चे को जन्म भी दिया था।
शौहर के मरने के बाद 2019 में किया था आत्मसमर्पण
फातिमा और तीन अन्य केरल की महिलाओं ने अपने शौहर के एक हमले में मरने के बाद दिसंबर 2019 में आत्मसमर्पण कर दिया था। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने कहा था कि वे आईएस से संबंधित मामलों में जेल में बंद लोगों को रिहा करेंगे, लेकिन भारत की मोदी सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। उन्हें अपनी बेटी के अफगानिस्तान की जेल में होने की जानकारी करीब डेढ़ साल पहले मिली थी, लेकिन अभी तक उसकी वापसी को लेकर कुछ भी नहीं हो पाया।
बता दें कि 15 मार्च 2020 को दिल्ली की एक वेबसाइट ने एक वीडियो जारी किया था। इसमें केरल की चारों महिलाओं की पहचान सोनिया सेबस्टियन उर्फ आयशा, मैरिन जैकब उर्फ मरियम, निमिशा उर्फ फातिमा ईसा और रफीला के रूप में हुई थी। इन्होंने वीडियो में भारत वापस लौटने की इच्छा जताई थी।
हाल ही में हिंदू ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया था, ”अफगानिस्तान में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) में शामिल हुई केरल की चार महिलाओं के भारत वापस आने की संभावना नहीं है।” एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इसकी पुष्टि की थी कि केरल की ये चार महिलाएँ अफगानिस्तान की जेल में बंद हैं। ये अफगानिस्तान के खुरासान प्रांत में अपने पतियों के साथ इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए गई थीं।
चारों महिलाएँ 2016-18 में अफगानिस्तान के नंगरहार पहुँची थीं। इस दौरान उनके शौहर अफगानिस्तान में अलग-अलग हमलों में मारे गए थे। ये महिलाएँ इस्लामिक स्टेट के उन हजारों लड़ाकों में शामिल थीं, जिन्होंने आत्मसमर्पण किया था।