पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और PML-N के नेता ख्वाजा आसिफ देश में धार्मिक असमानता के खिलाफ बोलने के लिए ईशनिंदा के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
ख्वाजा आसिफ के खिलाफ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता कमर रियाज ने ईशनिंदा का मामला दर्ज करवाया है। शिकायतकर्ता एडवोकेट कमर रियाज़ के अनुसार, आसिफ ने अपने हालिया नेशनल एसेंबली भाषण में कहा कि कोई भी धर्म दूसरे से श्रेष्ठ नहीं है। पीएमएल-एन नेता ने कहा कि इस्लाम और दुनिया के अन्य सभी धर्म समान हैं।
उन्होंने जफरवाल पुलिस को अपनी शिकायत में कहा, “उनके शब्द पवित्र कुरान और सुन्नत की शिक्षाओं के खिलाफ हैं, और इस्लाम के खिलाफ ईशनिंदा के समान हैं। यह शरिया के अनुसार एक गंभीर अपराध है, जिसमें उन्होंने आसिफ और काफिरों को समान घोषित किया है।”
पीटीआई नेता ने अपने आवेदन में पवित्र कुरान के कुछ छंदों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आसिफ ने सभी मजहब वालों की भावनाओं को आहत किया।
ख्वाजा आसिफ ने गुरुवार को सदन के पटल पर कहा कि पाकिस्तान का संविधान सभी नागरिकों को उनकी जाति, पंथ और धर्म के बावजूद समान अधिकार प्रदान करता है। उन्होंने इस्लामाबाद में एक हिंदू मंदिर के निर्माण के विरोध में सांसदों के एक समूह की आलोचना की।
उन्होंने इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर का विरोध करने वालों को लेकर कहा कि संविधान के आलोक में कोई भी धर्म दूसरे से श्रेष्ठ नहीं है। लोगों के प्रतिनिधियों के रूप में, समाज में सद्भावना और सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए यह सांसदों पर निर्भर करता था।
आसिफ के भाषण से नाराजगी बढ़ गई, क्योंकि चरमपंथी हलकों ने सरकार से कथित ‘ईशनिंदा’ के खिलाफ मामला दर्ज करने की माँग की। बाद में, पीएमएल-एन के अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि आसिफ द्वारा की गई टिप्पणी संविधान और इस्लाम के प्रावधानों के भीतर है।
शहबाज शरीफ, जो नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता हैं, ने ट्वीट किया, “इस्लाम, हमारा महान धर्म, इस्लामिक स्टेट में रहने वाले सभी समुदायों के अधिकारों और स्वतंत्रता के बारे में स्पष्ट है। समानता पाकिस्तान के संविधान में एक बुनियादी सिद्धांत है। ख्वाजा आसिफ ने नेशनल एसेंबली में जो भी कहा, वो इस्लामी शिक्षाओं और संवैधानिक प्रावधान के संदर्भ में था।”
बता दें कि इससे पहले पाकिस्तान में गंभीर धार्मिक प्रताड़ना झेलने वाले हिंदुओं ने साहसिक निर्णय लिते हुए इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर का निर्माण कार्य जारी रखने का फैसला किया था। इस्लामिक देश की राजधानी में अल्पसंख्यक होने के बावजूद हिंदुओं ने 20,000 वर्गफुट में कृष्ण मंदिर बनाने का निश्चय किया था। यह जमीन उन्हें पाकिस्तान सरकार से आवंटित हुई थी।
इस फैसले के बाद कृष्ण मंदिर को लेकर कट्टरपंथियों की लगातार धमकियाँ मिल रही थी और इस्लामिक उलेमाओं से लेकर इस्लामिक नेता तक पाकिस्तान सरकार के इस फैसले के विरोध में आवाज बुलंद कर रहे थे। इसके खिलाफ फतवा भी जारी किया गया, जिसके बाद मंदिर निर्माण कार्य रोक दिया गया है।