प्रतिंबंधित इस्लामी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) पाकिस्तान ने अगवा किए गए 11 पुलिसकर्मियों को रिहा कर दिया है। पाकिस्तान की पंजाब प्रांत की सरकार के साथ मोलभाव के बाद यह कदम उठाया गया है। इन पुलिसकर्मियों को लाहौर में हिंसक झड़पों के बाद रविवार (18 अप्रैल 2021) को बंधक बना लिया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, फ्रांस के राजदूत को देश से बाहर निकालने की शर्त पर पुलिस अधिकारियों को रिहा किया गया है।
सोमवार को पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद अहमद ने 11 पुलिसकर्मियों की रिहाई की पुष्टि की। उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर कर कहा, ”टीएलपी के साथ बातचीत शुरू हो गई है। बातचीत का पहला दौर सफलतापूर्वक रहा और दूसरा दौर सेहरी के बाद होगा। उन्होंने उन 11 पुलिसकर्मियों को रिहा कर दिया है जिन्हें बंधक बनाकर रहमतुल लील अलमीन मस्जिद (यतीम खाना चौक) ले जाया गया था। पुलिस ने भी अपने कदम पीछे खींच लिए हैं।”
उन्होंने आगे कहा, ”हमें उम्मीद है कि सेहरी के बाद दूसरी बैठक भी बेहतर साबित होगी और टीएलपी के साथ इन मामलों पर बातचीत कर समाधान निकाला जाएगा।” मालूम हो कि पाकिस्तान ने कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक-पाकिस्तान (टीएलपी) पर आतंकवाद कानून के तहत गुरुवार को औपचारिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया था। उस पर पुलिसकर्मियों के अपहरण करने का मामला भी दर्ज किया गया था। लाहौर CCPO (अतिरिक्त महानिरीक्षक) गुलाम महमूद डोगर ने भी बातचीत की प्रक्रिया में भाग लिया।
نیوز اپڈیٹ
— Sheikh Rashid Ahmed (@ShkhRasheed) April 18, 2021
اسلام آباد: 19 اپریل
وفاقی وزیر داخلہ شیخ رشید احمد کا اہم ویڈیو پیغام جاری pic.twitter.com/kvXqVjWP9U
पंजाब पुलिस के प्रवक्ता राणा आरिफ ने बताया कि कि टीएलपी कट्टरपंथियों ने जिन पुलिस अधिकारियों बंधक बनाया था, उनमें एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) भी थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि DSP को प्रतिबंधित संगठन के समर्थकों द्वारा प्रताड़ित किया गया था।
یہ 2014 میں سانحہ ماڈل ٹاؤن لاہور کی ویڈیو نہیں ہے بلکہ یہ 2021 میں ماہ رمضان کے دوران آج چوک یتیم خانہ لاہور کی ویڈیو ہے جس کی خبر الیکٹرانک میڈیا سے غائب ہے کیونکہ میڈیا پر پابندی ہے لوگ ہمیں لاشوں کی ویڈیوز بھجوا رہے ہیں ہم صرف اپیل کر سکتے ہیں کہ رمضان میں خونریزی نہ کریں pic.twitter.com/EoUTWXEmHY
— Hamid Mir (@HamidMirPAK) April 18, 2021
रविवार को एक बयान में पंजाब पुलिस ने कहा था, ”आज सुबह बदमाशों ने नवाकोट पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया। इसके बाद वे डीएसपी का अपहरण कर उन्हें मरकज में ले गए। कट्टरपंथी एक तेल टैंकर के साथ करीब 50,000 लीटर पेट्रोल भी मरकज में लेकर गए थे।”
साथ ही यह भी कहा गया था, “बदमाश हथियारों से लैस थे। उन्होंने रेंजरों, पुलिस पर पेट्रोल बम से हमला किया। पुलिस ने मस्जिद या मदरसे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। कार्रवाई केवल आत्मरक्षा में और सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा के लिए की गई थी।” हालाँकि, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के सहयोगी डॉ. फिरदौर आशिक एवान ने ट्वीट कर 12 पुलिस अधिकारियों को अगवा किए जाने का दावा किया था।
آج صبح پٹرول بموں اور تیزاب کی بوتلوں سے لیس متشدد جتھے نواں کوٹ پولیس سٹیشن پر حملہ آور ہوئے۔ جہاں رینجرز اور پولیس اہلکار محبوس ہوگئے اور تقریباً 6پولیس اہلکار زخمی ہوئے۔ متشدد جتھے DSP نواں کوٹ سمیت 12پولیس والوں کو اسلحے کے زور پر اغواء کرکے اپنے مرکز میں لے گئے۔ pic.twitter.com/K8UFq4Xkv2
— Dr. Firdous Ashiq Awan (@Dr_FirdousPTI) April 18, 2021
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में रिहा किए गए कुछ पुलिस अधिकारी खून से लथपथ और चोटिल नजर आ रहे हैं। उनके सिर के चारों ओर पट्टियाँ बँधी हुई हैं। पुलिस ने बाद में अनौपचारिक रूप से इस वीडियो के वास्तविक होने की पुष्टि की।
बता दें कि इमरान खान ने पिछले सप्ताह TLP को आतंकी संगठन बताते हुए बैन कर दिया था। वहीं, टीएलपी ने पाकिस्तान की इमरान सरकार को चेतावनी दी थी कि वे 20 अप्रैल तक फ्रांस के राजदूत को देश से बाहर निकाले। उनका कहना था कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने विवादित पत्रिका शार्ली हेब्दो द्वारा पैगंबर मुहम्मद के बनाए गए कार्टून का बचाव किया था। इसके बाद से पाकिस्तान में फ्रांस विरोधी प्रदर्शनों की शुरुआत हुई, जिसकी अगुवाई कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक-पाकिस्तान ने की। इस दौरान देश के कई हिस्सों में हिंसा हो चुकी है।