पाकिस्तान में एक बार फिर तनाव का माहौल है, तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) के हज़ारों समर्थक फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के विरोध में रावलपिंडी की सड़कों पर उतरे हैं। उनका विरोध इस मुद्दे पर था कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाने के अधिकार का बचाव किया था। खादिम हुसैन रिज़वी ने फ्रांस में हुई ईशनिंदा का विरोध करने के लिए प्रदर्शन आयोजित किया था, जिसके बाद प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे थे।
रविवार (15 नवंबर 2020) को शुरू हुआ प्रदर्शन सोमवार (16 नवंबर 2020) तक जारी रहा। इस विरोध-प्रदर्शन के दौरान कई नारे भी लगाए गए, “गुस्ताख-ए-रसूल की एक ही सज़ा, सिर तन से जुदा सिर तन से जुदा।”
Protest rally of Tehrik-e-Labbaik against France in Rawalpindi today: pic.twitter.com/8XLLjgbdDJ
— Naila Inayat नायला इनायत (@nailainayat) November 15, 2020
सोमवार को प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों के बीच टकराव की ख़बरें भी सामने आई थी। पाकिस्तानी समाचार समूह Dawn में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया, “प्रदर्शन के दौरान काफी मात्रा में आँसू गैस के गोले छोड़े गए थे, जिससे वहाँ के स्थानीय लोग बुरी तरह प्रभावित हुए थे और बहुत से लोगों को साँस लेने में परेशानी होने लगी थी।” TLP से संबंधित दर्जनों प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी इस विरोध-प्रदर्शन के दौरान घायल हुए थे, जिन्हें बाद में अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
प्रदर्शन और टकराव के तमाम वीडियो सोशल मीडिया पर काफी सुर्ख़ियों में बने हुए थे। TLP ने इस कार्रवाई को पैगंबर मोहम्मद के चाहने वालों पर पूरे इतिहास का सबसे घटिया और भीषण अत्याचार बताया है।
ناموس رسالت مارچ
— Tehreek Labbaik Pakistan (@MarkazTLP) November 16, 2020
عاشقان رسول ﷺ پر بدترین اور تاریخ کی بدترین شیلنگ#WorstShellingOnTLPmarch pic.twitter.com/EQwTQCO5yz
TLP ने इस तरह के तमाम वीडियो में जारी किए हैं जिसमें प्रदर्शनकारी कह रहे हैं कि इमरान खान की ‘बदमाश’ सरकार कलमा पढ़ने वाली पुलिस का इस्मेताल रावलपिंडी के कलमा पढ़ने वाले लोगों पर कर रही है। जबकि श्रीनगर और कश्मीर के मजहबी लोग इस बात की उम्मीद कर रहे हैं कि यही ताकतें उनका बचाव करेंगी। यह बात भी सामने आ गई है कि पाकिस्तानी सेना हिंदुओं से नहीं लड़ रही है, बल्कि नमाज़ पढ़ने वालों पर सख्ती से कार्रवाई कर रही है।
वीडियो में बात करने वाले व्यक्ति को कहते हुए सुना जा सकता है कि ‘ईशनिंदा की एक ही सज़ा हो सकती है, सिर को शरीर से अलग कर दिया जाए।’
ناموس رسالت مارچ
— Tehreek Labbaik Pakistan (@MarkazTLP) November 16, 2020
خطیب اسلام علامہ فاروق الحسن قادری کا امت مسلمہ خاص کر راولپنڈی کے مسلمانوں کے نام پیغام#WorstShellingOnTLPmarch pic.twitter.com/guK59Q3qDT
TLP का यह भी कहना था कि बंदूकें रावलपिंडी के लोगों की जगह फ्रांसीसियों की तरफ होनी चाहिए।
جن بندوقوں کا رخ فرانس کے گستاخوں کی جانب ہونا چاہئیے ہے حکومت الٹا اپنی عوام پر اس کا استعمال کر رہی ہے تمام مسلمانوں کے لمحہ لمحہ فکریہ تمام غیور مسلمان جلد از جلد فیض آباد پہنچیں اور اپنے نبی سے وفاداری کا ثبوت دیں#WorstShellingOnTLPmarch pic.twitter.com/z7vbyyFQer
— TLP Punjab (@TLPPunjabMarkaz) November 16, 2020
साझा किए गए वीडियो में आस-पास काफी ज्यादा धुआँ भी देखा जा सकता है।
تازہ ترین صورتحال فیض آباد
— TLP Punjab (@TLPPunjabMarkaz) November 16, 2020
ناموس رسالت مارچ کے شرکاء پر پولیس کی بدترین شیلنگ#WorstShellingOnTLPmarch pic.twitter.com/1tSuKF7409
प्रदर्शनकारियों की माँग के अनुसार पाकिस्तान में स्थित फ्रांस का दूतावास बंद कर देना चाहिए और फ्रांस से तमाम कूटनीतिक रिश्ते ख़त्म कर दिए जाने चाहिए। प्रदर्शनकारी फैजाबाद (इंटरचेंज) पहुँचने का प्रयास कर रहे हैं जो रावलपिंडी और इस्लामाबाद को जोड़ता है। इसके अलावा प्रदर्शनकारी इसे बंद करने की योजना भी बना रहे हैं। इसी बीच मिलेनियल फेमिनिस्ट पत्रकार ग़रीदाह फारूखी ने सोशल मीडिया पर हल्ला मचाते हुए कहा, “कहाँ है सरकार? कहाँ है प्रशासन, इसका तंत्र और ताकत? कुछ हज़ार कट्टरपंथियों, उपद्रवियों और क़ानून के विरोधियों ने पिछले दो दिनों से इस्लामाबाद और रावलपिंडी के नियम-कायदे से बंधे नागरिकों का जीवन मुश्किल कर दिया है। सरकार सिर्फ तमाशा देख रही है, उसे शर्म आनी चाहिए। जो खुद को इस्लाम का ठेकेदार कहते थे, वह अब विदेश नीति के ठेकेदार बन कर रह गए हैं।”
पाकिस्तान के लोगों का फ्रांस के विरुद्ध प्रदर्शन
पाकिस्तान के लोग पिछले काफी समय से फ्रांस का विरोध कर रहे हैं। पिछले महीने के अंत में इस्लामी भीड़ को फ्रांस दूतावास पहुँचने से रोकने के लिए पुलिस को उन पर आँसू गैस के गोले छोड़ने पड़े थे और लाठी चार्ज भी करना पड़ा था। इस बीच तमाम प्रदर्शनकारियों को चोट भी लगी और अंत में पुलिस ने उन्हें दूतावास पहुँचने से रोक दिया। इसके अलावा अन्य लोग पाकिस्तानियों को इमैनुएल मैक्रों का विरोध करने के लिए ‘डिजिटल जिहाद’ का सहारा लेने का सुझाव दे रहे हैं।