हाल में चीन की एक महत्वाकांक्षी परियोजना को झटका देने वाले ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के द्वीपीय देश समोआ को फियामी नाओमी मताफा (Fiame Naomi Mata’afa) के रूप में अपनी पहली महिला प्रधानमंत्री मिलीं।
इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री ट्विलाएपा सैलेले मैलिलेगाओई (Tuilaepa Sailele Malielegaoi) ने सत्ता हाथ से जाती देख अपना पद छोड़ने से मना कर दिया। वहीं उनकी पार्टी ने संसद में ताला लगवा दिया, जिसके चलते नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री को तंबू में शपथ लेनी पड़ी।
तंबू में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेना कितना आधिकारिक है या कितना नहीं, इस पर अभी कोई टिप्पणी नहीं आई। लेकिन बता दें कि इस बार नाओमी की जीत के चलते ह्यूमन राइट प्रोटेक्शन पार्टी (HRPP) का 40 साल बाद सत्ता से किनारा हुआ।
पार्टी 1982 से लगातार सत्ता में थी और दो दशक से तो स्वयं ट्विलाएपा सैलेले ही प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे। हालाँकि, इस दफा नाओमी के सत्ता में आने से जीत का यह सिलसिला टूटा। जिससे सत्तारूढ पार्टी बिलबिला उठी और प्रधानमंत्री ट्विलाएपा ने बिना किसी वजह के सोमवार की संसदीय बैठक कैंसिल कर दी।
https://twitter.com/CNN/status/1396763414526058506?ref_src=twsrc%5Etfwइस खबर के बाद समोआ के सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को गैरकानूनी बताया। वहीं जब नई प्रधानमंत्री संसद में शपथ लेने पहुँची तो उन्हें दरवाजा बंद मिला। यह सब देखकर FAST के प्रवक्ता ने कहा कि ये तख्तापलत बिलकुल सही है। इसके बाद शपथ ग्रहण समारोह एक टेंट में हुआ।
कड़े मुकाबले के बाद समोआ को मिली पहली महिला PM
समोआ में इस बार HRPP और FAST के बीच कड़ा मुकाबला हुआ। इस दौरान दोनों पार्टियों ने 25-25 सीटें अपने नाम की, लेकिन बाद में एक निर्दलीय विजेता ने FAST को अपना समर्थन दे दिया। इस दौरान HRPP ने कुर्सी बचाने के लिए कानून का सहारा लिया और अदालत में कहा कि विरोधियों ने महिला सांसद कोटे का पालन ठीक तरह से नहीं किया है।
नतीजा यह हुआ कि देश में चुनाव आयोग ने अप्रैल के मतदान के नतीजों को रद्द किया और 21 मई को नए चुनाव का ऐलान किया। मगर चुनाव से महज 5 दिन पहले देश के सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल के चुनाव को सही बता दिया। अदालत ने HRPP खिलाफ फैसला सुनाते हुए कहा कि मताफा का शपथ ग्रहण कार्यक्रम होना चाहिए।
चीन की 729 करोड़ रुपए की योजना को समोआ ने किया रद्द
गौरतलब है कि समोआ, ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप का एक द्वीपीय देश है। उसकी आबादी करीब 2 लाख है। पिछले दिनों चीन के ख़िलाफ़ जब हर छोटे बड़े देशों ने अपना मुखर रवैया अपनाया तो समोआ ने भी चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना को रद्द कर दिया।
मात्र 2,831 वर्ग किमी में फैले और लगभग 2,00,000 की जनसंख्या वाले समोआ ने 100 मिलियन डॉलर (लगभग 729 करोड़ रुपए) का चीन का पोर्ट प्रोजेक्ट रद्द कर दिया। चीन अरसे से सामरिक महत्व वाले देशों को अपने कर्ज के जाल में फँसा, वहाँ रणनीतिक रूप से पहुँच बनाने की रणनीति पर काम कर रहा था। ऐसे में समोआ ने उसे जोरदार झटका दिया।
दरअसल, देश के पूर्व प्रधानमंत्री तुईलीफा मालिया लेगोआय चीन समर्थक माने जाते रहे हैं और उन्हीं के शासनकाल में पोर्ट प्रोजेक्ट मंजूर हुआ था।। लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस पर काम नहीं हुआ। इसके बाद समोआ की पहली महिला प्रधानमंत्री ने निर्णय लिया कि उनके देश में चीन का यह पोर्ट प्रोजेक्ट रद्द किया जाएगा।
मताफ़ा ने चीन के पोर्ट प्रोजेक्ट को रद्द करने पीछे कारण बताया, “समोआ एक छोटा सा देश है और यहाँ के बंदरगाह और एयरपोर्ट हमारी जरूरतों की पूर्ति के लिए पर्याप्त हैं। हमारे पास कई ऐसे सरकारी प्रोजेक्ट्स हैं जिन्हें प्राथमिकता दिए जाने की जरूरत है और इसलिए हम चीन का यह प्रोजेक्ट रद्द कर रहे हैं।“ इसके बाद पलाओ ने भी चीन को लेकर अपना स्पष्ट बयान दिया कि वह इन सबमें नहीं फँसना चाहता।