NATO प्रमुख जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम की सबसे बड़ी मस्जिद के सामने कुरान जलाए जाने की घटना को लेकर कहा है कि ये अपमानजनक और आपत्तिजनक तो है, लेकिन अवैध नहीं है। उन्होंने इस दौरान स्वीडन को NATO में शामिल किए जाने को लेकर समझौते की भी वकालत की। बता दें कि ‘द नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन’ 31 देशों का सैन्य गठबंधन है, जिसमें 29 यूरोपीय देशों के अलावा नॉर्थ अमेरिका के 2 देश भी शामिल हैं।
स्वीडन भी इसका हिस्सा बनना चाहता है, लेकिन तुर्की बार-बार वीटो लगा कर NATO में उसकी एंट्री को रोक देता है। तुर्की का आरोप है कि कुर्द विद्रोहियों को स्वीडन का संरक्षण प्राप्त है। कुर्द को तुर्की आतंकवादी मानता है। उधर अमेरिका ने भी कहा है कि वो स्वीडन में कुरान जलाए जाने की निंदा करता है। लेकिन, साथ में उसने ये भी जोड़ा कि इस विरोध प्रदर्शन के लिए अनुमति जारी करना अभिव्यक्ति की आज़ादी के समर्थन में था और इसका मतलब ये नहीं है कि इस कृत्य को बढ़ावा दिया गया।
NATO प्रमुख ने कहा कि वो इस घटना को पसंद नहीं कर रहे हैं, लेकिन वो असहमति के अधिकार का बचाव कर रहे हैं। हालाँकि, तुर्की के राष्ट्रपति तय्यिप एर्दोआँ का कहना है कि कुरान जलाने वाले भी उतने ही दोषी हैं, जितना कि इसकी अनुमति देने वाले। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता मैट मिलर ने कहा कि इस विरोध प्रदर्शन ने एक डर के वातावरण को जन्म दिया है, जो मुस्लिमों के खुल कर अपने मजहब को मानने के अधिकार को दबाता है।
"Actions taken that are offensive and objectionable are not necessarily illegal."
— MintPress News (@MintPressNews) June 30, 2023
NATO Secretary General Jens Stolenberg defends the right to burn the Quran.
Credit: AP pic.twitter.com/7tOjqyX5mz
उन्होंने अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को लेकर भी डर जताया। बता दें कि कुरान जलाने वाले व्यक्ति पर स्वीडन की पुलिस ने केस भी दर्ज किया है। इस घटना के बाद उस पर एक समुदाय विशेष के खिलाफ उत्तेजना फैलाने का आरोप लगाया गया। रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद स्वीडन ने NATO की सदस्यता के लिए आवेदन किया था, लेकिन तुर्की ने इसमें अड़ंगा लगा दिया। हालाँकि, अभी भी अमेरिका ने कहा है कि स्वीडन को नाटो का हिस्सा बनना चाहिए।