95% से अधिक मुस्लिम आबादी वाले मध्य एशियाई देश ताजिकिस्तान ने हिजाब लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। ताजिकिस्तान ने हिजाब के साथ ही ईद को लेकर भी नए प्रतिबंध लगाए हैं। हिजाब को लेकर ताजिकिस्तान ने जुर्माने का भी ऐलान किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हाल ही में इन नए प्रतिबंधों को लेकर नया कानून पास किया गया है। इस कानून को 19 जून, 2024 को ताजिकिस्तान की संसद के ऊपरी सदन से मंजूरी मिल गई। इस कानून के तहत ताजिकिस्तान में हिजाब की बिक्री, उसे पहनना या उसे बढ़ावा देने अपराध होगा।
ताजिकिस्तान के इस नए कानून में हिजाब को ‘विदेशी संस्कृति’ बताया गया है। यदि ताजिकिस्तान में अब कोई हिजाब पहनता या बेचता है तो उसे 750 डॉलर (₹62,000) से लेकर 3724 डॉलर (₹3.10 लाख) तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।
ताजिकिस्तान ने इस कानून में ईद के त्यौहार पर बच्चों को दिए जाने वाले पैसे, जिसे ‘ईदी’ भी कहा जाता है, पर भी रोक लगा दी है। इसे अब बच्चों को नवरोज, ईद और बकरीद के त्यौहार पर नहीं दिया जा सकेगा। ताजिकिस्तान के इस फैसले पर दुनिया भर में हैरानी जताई जा रही है, क्योंकि यह लगभग पूर्णतया मुस्लिम राष्ट्र है।
ताजिकिस्तान की आबादी लगभग 1 करोड़ है, इसमें से लगभग 95 लाख मुस्लिम हैं। इसके बाद भी ताजिकिस्तान की सरकार ने यह निर्णय लिया है। दरअसल, ताजिकिस्तान की सरकार ने यह निर्णय अपने देश की स्थानीय परम्पराओं को बचाने के लिए लिया है। उसने हिजाब पहनने को खुले में मजहब का प्रदर्शन माना है।
ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति एमोमाली रहमोन लगातार देश को धर्मनिरपेक्ष बनाने में जुटे हुए हैं। वह 1994 से ही ताजिकिस्तान की सत्ता पर काबिज हैं। ताजिकिस्तान इससे पहले सोवियत संघ का हिस्सा था। सोवियत संघ में भी धर्म के खुले में प्रदर्शन और बढ़ावे को रोकता था और ताजिकिस्तान में भी अब यही प्रयास हो रहा है।