फेक टीआरपी मामले में मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के असिसटेंट वाइस प्रेसिडेंट (AVP) धनश्याम सिंह को शनिवार (5 दिसंबर 2020) को मुंबई की अदालत ने जमानत दे दी। फ़र्ज़ी टीआरपी मामले को रिपब्लिक टीवी और इसके एडिटर इन चीफ़ अर्णब गोस्वामी के विरुद्ध षड्यंत्र और दुष्प्रचार के ज़रिए में तब्दील कर दिया गया था।
10 नवंबर को पुलिस ने घनश्याम सिंह को उनके आवास से गिरफ्तार किया था और इसके बाद उन्हें 25 दिन के लिए तलोजा जेल में रखा गया था। इस दौरान अदालत में पेश किए जाने के पहले उनके साथ आतंकवादियों जैसा बर्ताव किया गया, चेहरा काले कपड़े से ढका गया था और उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया था।
19 नवंबर को रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के असिसटेंट वाइस प्रेसिडेंट घनश्याम सिंह की जमानत याचिका की सुनवाई 24 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई थी। रिपब्लिक टीवी के अनुसार यह आदेश तब आया जब महाराष्ट्र सरकार ने घनश्याम सिंह की जमानत याचिका पर प्रतिक्रिया देने के लिए 5 दिन का समय माँगा था।
#BREAKING | Bail granted to Republic’s AVP Ghanshyam Singh who has been in jail for 25 days; Tune in for #LIVE updates here – https://t.co/RZHKU3wOei pic.twitter.com/ZT3wDjBOye
— Republic (@republic) December 5, 2020
8 अक्टूबर को मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने एक प्रेस वार्ता की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि मुंबई पुलिस ने फ़र्ज़ी टीआरपी रैकेट के संबंध में चेतावनी दी थी। परमबीर सिंह विशेष रूप से इस बात का ज़िक्र किया था कि हंसा रिसर्च ने मामले में शिकायत दर्ज कराई है। जबकि हंसा रिसर्च द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में रिपब्लिक टीवी का कोई ज़िक्र नहीं था। इसके विपरीत शिकायत में इंडिया टुडे का ज़िक्र कई बार किया गया था।
जमानत याचिका सुनवाई स्थगित होने के बाद नहीं मिली थी घनश्याम सिंह की लोकेशन
मुंबई पुलिस द्वारा घनश्याम सिंह की जमानत याचिका की सुनवाई 5 दिन के लिए टाले जाने के बाद रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ने कहा था कि उनकी लोकेशन का कुछ पता नहीं चल रहा था। रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया था कि पुलिस और जेल अधिकारी इस संबंध में स्पष्ट जानकारी नहीं दे रहे थे कि हिरासत के दौरान घनश्याम सिंह को किस जेल में रखा गया है। चैनल का कहना था कि वह लगातार लोकेशन खोजने में जुटे हुए थे और उनकी लोकेशन छुपा कर महाराष्ट्र सरकार और पुलिस उनके बुनियादी अधिकारों का हनन कर रही है।