चुनाव प्रक्रिया में भाग लेना व मतदान करना प्रत्येक नागरिक का न केवल अधिकार है बल्कि कर्तव्य भी है। जनता को अपने अधिकारों को लेकर जागरूक करने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने 19 अप्रैल को ‘नेशन फर्स्ट वोटिंग मस्ट’ कार्यक्रम आयोजित किया। इसके तहत परिषद के सदस्यों ने लोगों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया। इस अभियान का मुख्य मकसद थर्ड जेंडर के लोगों को वोटिंग के लिए जागरूक करना था।
“#NationFirstVotingMust was an event organised by the ABVP in Lucknow University on 19th April with the purpose of making people of the third gender community more conscious about their voting rights and electoral processes.” – article in @SwarajyaMag https://t.co/RKGsbVquZq
— ABVP (@ABVPVoice) April 25, 2019
खबर के अनुसार, लखनऊ में लगभग 6,000 ट्रांसजेंडर रहते हैं, लेकिन उनमें से केवल 150 के पास ही उनके वोटर आईडी कार्ड हैं। लखनऊ किन्नर सोसाइटी की अध्यक्ष पायल का कहना है कि सिस्टम उनके खिलाफ धांधली करता है, जिससे उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन होता है। वो अपने अधिकार से वंचित रह जाते हैं। थर्ड जेंडर को वोट देने का अधिकार तो प्राप्त है, मगर उनके लिए खुद को इस प्रक्रिया में शामिल करना काफी मुश्किल होता है, जिसकी वजह से वो वोट नहीं डाल पाते हैं और अपने अधिकार का उपयोग नहीं कर पाते हैं। इसके लिए पायल ने सरकार से अपील की है कि वोटर आईडी कार्ड बनवाने के तरीकों में बदलाव किया जाए, ताकि ट्रांसजेंडर्स आसानी से, बिना किसी परेशानी के अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें।
हालाँकि सरकार ने ट्रांसजेंडर्स के वोट करने के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए साल 2014 में ही एक सकारात्मक कदम उठाते हुए उनके द्वारा किए जाने वाले मतदान के लिए एक नई श्रेणी जोड़ी थी, मगर इसका भी कुछ खास लाभ नहीं दिख रहा है, क्योंकि ट्रांसजेंडर जब भी कभी अपना वोटर कार्ड बनवाने की कोशिश करते हैं तो उन्हें नगरपालिका द्वारा पहचान पत्र दिखाने के लिए कहा जाता है और इनमें से अधिकांश ट्रांसजेंडर ऐसे हैं, जिन्हें ना तो अपने जन्मस्थान के बारे में पता है और ना ही अपनी जन्मतिथि के बारे में। ऐसे में उनका वोटर कार्ड बनना काफी मुश्किल हो जाता है और यही कारण है कि लखनऊ जैसे शहर में 6000 ट्रांसजेडर्स में से सिर्फ 150 ट्रांसजेंडर्स के पास ही अपने वोटर आईडी कार्ड हैं।