भगवान शिव की खंडित मूर्ति, धड़ गायब कर टाँग दिया ISIS का झंडा: आतंकी संगठन ने देवताओं के ध्वंस की दी धमकी

ISIS की धमकी

आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) की प्रोपेगेंडा पत्रिका ‘वॉयस ऑफ हिंद (VOH)’ का नया संस्करण आया है। इसका जो कवर जारी किया गया है, उस पर भगवान शिव की कंप्यूटरजनित खंडित मूर्ति है। इसके नीचे लिखा है- ‘इट्स टाइम टू ब्रेक फॉल्स गॉड (यह झूठे देवताओं के ध्वंस का समय है)’। खंडित मूर्ति के शीर्ष पर आईएसआईएस का झंडा भी लगा है।

सोशल मीडिया में इस कवर के वायरल होने के बाद नेटिजन्स चिंता जता रहे हैं। कवर पर जो मूर्ति लगी है, वह कर्नाटक के मुरुदेश्वर शिव मंदिर में स्थापित भगवान शिव की मूर्ति से मिलती-जुलती है। कर्नाटक के कुमटा से बीजेपी के विधायक दिनकर केशव शेट्टी ने भी इस कवर की ओर ध्यान दिलाया है। उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट से इसकी तस्वीर साझा करते हुए सरकार से कार्रवाई की माँग की है।

कन्नड़ में लिखे अपने पोस्ट में शेट्टी ने कहा है, “सोशल मीडिया से मुझे यह पता चला है कि आतंकी संगठन आईएसआईएस की एक पत्रिका ‘वॉयस ऑफ हिंद’ ने मुरुदेश्वर मंदिर की शिव प्रतिमा का ध्वंस करने का ऐलान किया है। हिंदू मंदिरों की सुरक्षा और संवर्धन हमारी पार्टी के प्रमुख सिद्धांतों में से है। इस तरह की धमकियों पर कार्रवाई करने में हमारा रक्षा तंत्र मजबूत और सशक्त है। फोन पर गृह मंत्री को भी इससे अवगत कराया गया है। जल्द ही मुरुदेश्वर मंदिर में अतिरिक्त सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।”

वॉयस ऑफ हिंद और भारत सरकार की कार्रवाई

आईएसआईएस समर्थक मीडिया आउटलेट ‘अल किताल’ और ‘जुनुदल खिलाफत अल-हिंद’ ने फरवरी 2020 में वॉयस ऑफ हिंद को लॉन्च किया था। सितंबर 2021 में ‘द प्रिंट’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) को पता चला था कि यह पत्रिका पाकिस्तान और बांग्लादेश में एक ‘कॉल सेंटर टाइप सेटअप’ में तैयार की जा रही है।

शुरुआत में ऐसा माना गया था कि इस पत्रिका की शुरुआत अफगानिस्तान से हुई है। लेकिन बाद में तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से यह बात पता चली कि इसके लिंक दक्षिण कश्मीर से हैं। द प्रिंट की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस पत्रिका का संपादन पाकिस्तान में किया जाता है। इसके लिए कंटेंट तैयार करने वाले मालदीव और बांग्लादेश से हैं।

एनआईए ने जुलाई 2021 में अनंतनाग से तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। इनकी पहचान उमर निसार, तनवीर अहमद भट और रमीज अहमद लोन के तौर पर की गई। इन पर युवाओं के बीच प्रोपेगेंडा सामग्री प्रचारित करने का आरोप था। वीओएच को फेक ऑनलाइन पहचान के साथ प्रसारित किया जा रहा था। वास्तविक पहचान छिपाने के वीपीएन का इस्तेमाल हो रहा था। जाँच में भारतीय मोबाइल नंबरों और उन ऑनलाइन फर्जी खातों के बीच लिंक मिले थे। एनआईए ने बड़ी संख्या में डिजिटल उपकरण जैसे मोबाइल फोन, हार्ड डिस्क, एसडी कार्ड आदि जब्त करने की बात कही थी, जिसका इस्तेमाल पत्रिका के प्रसार में हो रहा था।

एनआईए ने अगस्त 2021 में कर्नाटक के भटकल से आईएसआईएस के एक प्रमुख ऑपरेटिव को गिरफ्तार किया था। उसकी पहचान जुफरी जवाहर दामुदी उर्फ अबू हाजीर अल बद्री के तौर पर हुई थी। अमीन जुहैब नाम के एक अन्य आतंकवादी को भी गिरफ्तार किया गया था। ये गिरफ्तारियाँ वीओएच पत्रिका से जुड़ी जाँच के सिलसिले में ही हुई थी। इसी तरह अक्टूबर 2021 में एनआईए ने आतंकी संगठन के प्रोपेगेंडा मैग्जीन के प्रकाशन के सिलसिले में कश्मीर में कई जगहों पर छापे मारे थे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया