मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में सेना के जवानों को लेकर जा रही एक स्पेशल ट्रेन को धमाका करके पलटने की कोशिश की गई। इसके लिए नेपानगर में रेलवे ट्रैक पर डेटोनेटर बिछाए गए थे। हालांकि, ट्रेन के पहुँचने से पहले ही कुछ डेटोनेटर फूट गए और रेलवे अधिकारी सतर्क हो गए। इसके बाद सागफाटा स्टेशन पर ट्रेन रुकवा दी गई। यह ट्रेन जम्मू-कश्मीर से कर्नाटक जा रही थी।
यह घटना बुधवार (18 सितंबर 2024) की है, लेकिन जानकरी अब सामने आई है। रेलवे सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि दिल्ली-मुंबई ट्रैक पर सागफाटा से डोंगरगाँव के बीच 10 डेटोनेटर रखे गए हैं। इन्हें एक से डेढ़ फीट की दूरी पर रखा गया था, ताकि लगातार धमाके हों। यह ट्रेन खंडवा से होते हुए तिरुवनंतपुरम जा रही थी। इसमें सेना के अधिकारी, जवान और हथियार थे।
आर्मी की यह स्पेशल ट्रेन जब डिटोनेटर के पास से गुजरी तो लोको पायलट ने विस्फोट की आवाज सुनी। उसने तुरंत ट्रेन रोक दी और नेपानगर के स्पेशन मास्टर को इसकी सूचना दी। इसके बाद नेपानगर कंट्रोल रूम से सागफाटा स्टेशन के कंट्रोल रूम को ट्रैक पर डेटोनेटर होने की सूचना दी गई। ट्रेन वहाँ कुछ देर रुकने के बाद ट्रेन भुसावल की ओर रवाना हो गई।
भुसावल पहुँचकर भी घटना की शिकायत स्टेशन मास्टर से की गई। इसके बाद आनन-फानन में रेलवे के अधिकारी से लेकर प्रशासन तक घटनास्थल पर पहुँच गया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, डेटोनेटर साल 2014 के बताए जा रहे हैं। यह पाँच साल के लिए ही वैध रहते हैं। छठे साल में इनका टेस्ट होता है। इन्हें रेलवे ही बनाता है। इन्हें ट्रैक पर किसने रखा, इसकी जाँच की जा रही है।
कहा जा रहा है कि ट्रैक पर जो डेटोनेटर मिला था वो RDX वाला नहीं, फ़ॉग डेटोनेटर था। जाड़े में कुहासा के कारण ट्रेन के लोको पायलट को अलर्ट करने के लिए इसका इस्तेमाल पटरी के पास आवाज करने के लिए किया जाता है। एक स्थान पर एक डेटोनेटर रखा जाता है। हालाँकि, यहाँ डेटोनेटर रेलवे की ओर से नहीं रखा गया था।
अज्ञात लोगों ने रेलवे का यह एक्सपायर्ड डेटोनेटर हासिल करके उसे एक साथ पटरी पर रख दिया था। ये डेटोनेटर सिर्फ आवाज करते हैं। यह कहा जा रहा है कि ट्रैक पर काम करने वाले रेलवे के गैंगमैन एवं ट्रैकमैन को इस तरह के पटाखे दिए जाते हैं, ताकि विशेष परिस्थितियों में इसे छोड़कर आने वाली ट्रेन को लोको पायलट को संकेत दे सके।
इस मामले को रेल मंत्रालय ने काफी गंभीरता से लिया है। आर्मी भी जाँच में जुट गई है। इसके अलावा, राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) और आतंक निरोधी दस्ता (ATS) के साथ-साथ देश की कई सुरक्षा एवं खुफिया एजेंसियाँ भी जाँच में जुटी हुई हैं। RPF (रेलवे सुरक्षा बल) भी इसकी जाँच कर रहा है। आर्मी के अधिकारियों ने पूछताछ के लिए रेलवे के चाबीदार और ट्रैकमैन की हिरासत की माँग की है।
कहा जा रहा है कि इस मामले से जुड़े 4 से 5 संदिग्धों से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया है। हालाँकि, मामला गंभीर होने के साथ-साथ सेना से जुड़े होने के चलते अधिकारी इस मामले को लेकर गोपनीयता बरत रहे हैं और कोई भी अधिकारी कुछ बोलने या जानकारी देने से बच रहा है। हालाँकि, किसी गिरफ्तारी की अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
बता दें कि आज रविवार (22 सितंबर) को उत्तर प्रदेश स्थित कानपुर के प्रेमपुर रेलवे स्टेशन के पास ट्रैक पर खाली गैस सिलेंडर मिला। यह घटना सुबह लगभग 8 बजे की है। वहाँ से एक मालगाड़ी प्रयागराज के लिए जा रही है। ट्रेन के लोको पायलट ने सिलिंडर देखकर आपातकालीन ब्रेक लगाकर ट्रेन रोक दी। यह सिलेंडर पाँच किलो का था और खाली था। इस मामले की भी जाँच की जा रही है।
इससे पहले 8 सितंबर को प्रयागराज से भिवानी जा रही कालिंदी एक्सप्रेस को ट्रैक पर LPG सिलेंडर रखकर पटरी से उतारने की कोशिश की गई थी। ट्रेन जब सिलेंडर से टकराई तो तेज धमाका हुआ। इसके बाद लोको पायलट ने तुरंत आपातकालीन ब्रेक लगा दिया। इससे पहले 17 अगस्त 2024 को कानपुर में ही साबरमती एक्सप्रेस के 17 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। लोको पायलट ने बताया था कि किसी चीज से ट्रेन के टकराने के बाद हादसा हुआ था।
बीते दो महीनों में देश भर में ट्रेन पलटने की 23 साजिशों का पता चला है। बताते चलें कि रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 151 के अंतर्गत रेल दुर्घटना के साजिश साबित होने पर आरोपित को अधिकतम 10 साल की सजा और जुर्माने के का प्रावधान है। अब सरकार इस अधिनियम में एक उपधारा जोड़कर इसे देशद्रोह की श्रेणी में लाने और इसके लिए मृत्युदंड देने की योजना बना रही है।