जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए महिलाओं और बच्चों का इस्तेमाल करने की साजिश का पर्दाफाश हुआ है। खुफिया एजेंसी ISI और आतंकी समूह इनके जरिए अपने संदेश और हथियारों को इधर-उधर पहुँचाने का काम कर रहे हैं।
श्रीनगर स्थित 15 कोर (चिनार कोर) के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीपसिंह औजला ने इस संबंध में कहा कि अब सुरक्षा बलों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्होंने जानकारी दी कि एलओसी के पार बैठे आतंकी मौजूदा शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने के लिए साजिश रचने में जुटे हैं और अपने साथ महिलाओं-बच्चों को जोड़ रहे हैं
औजला ने बताया, “आज नया खतरा, जो मैं देख रहा हूँ वो महिलाओं और लड़कियों का इस्तेमाल है जिसे संदेश भेजने के लिए, ड्रग्स पहुँचाने के लिए और हथियार इधर-उधर करने के लिए किया जा रहा है। ये तरीका आईएसआई से लेकर कई प्रमुख आतंकवादी समूह अपना रहे हैं।”
ऐसे खुलासे के बाद जब पूछा गया कि क्या आतंकियों ने मोबाइल वगैरह इस्तेमाल करना बंद कर दिया है। इस पर सेना अधिकारी ने बताया कि अब तकनीकी संपर्क कम हो गए हैं। वो लोग बातचीत पहुँचाने के लिए मैसेज या मोबाइल नहीं प्रयोग कर रहे बल्कि ओवर ग्राउंड वर्कर्स को वो अपना संदेश पहुँचाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि इंटेलिजेंस एजेंसियाँ और सुरक्षाबलों के स्लीपर सेल पर तेजी से कार्रवाई की है। इसलिए आतंकी इस रास्ते को अपना रहे हैं।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में सेना लगातार कट्टरपंथियों की योजना तोड़ने का प्रयास कर रही है। सेना ने प्रशासन के सहयोग से वहाँ सही रास्ता अभियान चलाया हुआ है। सुरक्षा एजेंसियाँ लगातार अलर्ट हैं। घुसपैठ की किसी भी कोशिश को नाकामयाब करने के लिए तैयार हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सेना की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। इसे निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। सेना अराजक तत्वों का सफाया करके किसी भी खतरे को लगातार दूर करने के लिए तत्पर है।
सेना अधिकारी ने कहा कि भले ही वो एकदम सही आँकड़े नहीं दे सकते, लेकिन ये कह सकते हैं कि पिछले 33 साल से आतंकियों की संख्या अब बहुत कम है। लेफ्टिनेंट जनरल ने इस दौरान घाटी में आयोजित जी-20 बैठक शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न होने के लिए सभी सुरक्षा बलों के बीच तालमेल की सराहना की।