कथित तौर पर, 10 मई को, पाकिस्तान सरकार ने फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फ़ोर्स (एफएटीएफ) की सिफ़ारिशों का अनुपालन करते हुए एनजीओ अल रहमत ट्रस्ट (ART) पर प्रतिबंध लगा दिया था। बावजूद इसके, यह एनजीओ आतंकी संगठनों के लिए धन इकट्ठा करने में जुटा हुआ है।
आतंकी संगठन जैश-ए-मौहम्मद पर प्रतिबंधित लगने के बावजूद वो धन इकट्ठा करने वाली गतिविधियों को अभी भी अंजाम दे रहा है। इस काम को वो मुख्य रूप से बहावलपुर में मुख्यालय स्थित अपने एनजीओ, अल रहमत ट्रस्ट (ART) के माध्यम से संचालित कर रहा है। 2002 में जैश-ए-मोहम्मद के प्रतिबंधित होने के बाद इस ट्रस्ट को 2002 में ही मसूद अजहर ने शुरू किया था और तभी से यह फल-फूल रहा है। पाकिस्तान में इसकी छोटी-छोटी शाखाओं के अलावा मुजफ्फराबाद, पेशावर, क्वेटा और हैदराबाद में क्षेत्रीय केंद्र भी हैं।
इतालवी पत्रकार फ्रांसेस्का मैरिनो की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शायद इस तथ्य की अनदेखी की है कि आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) या जैश-ए-मुहम्मद (JeM) अपनी आतंकी गतिविधियों से बिल्कुल भी बाहर नहीं गए हैं। जबकि पाकिस्तानी सरकार ने दावा किया था कि उन्होंने आतंकी संगठनों के ख़िलाफ़ गंभीर क़दम उठाए हैं।
एनजीओ अल रहमत ट्रस्ट आधिकारिक रूप से दावा करता है कि इसका उद्देश्य इस्लाम का पालन करना, इस्लाम की सेवा करना, इस्लामी शिक्षा का प्रसार करना और दूसरों की मदद करना है। जबकि वास्तविकता यह है कि इस इस्लामिक एनजीओ का असली उद्देश्य लश्कर-ए-तैयबा और मोहम्मद हाफिज सईद का समर्थन करना है। यह जिहाद या साधारण शब्दों में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए और मृत आतंकवादियों के परिवारों की सहायता के लिए LeT के संचालन के लिए वित्तपोषण का काम करता है।
ख़बर तो यह भी है यह एनजीओ तालिबान को भी अपनी सेवाएँ देता रहा है। पत्रकार मैरिनो के अनुसार, पाकिस्तानी अधिकारियों ने कथित तौर पर नोटिस जारी कर आम जनता से इन आतंकी संगठनों को दान देने से परहेज करने को कहा था। लेकिन, दिलचस्प बात यह है कि इन आतंकी समूहों को अलग-अलग छद्म धार्मिक गतिविधियों तहत या रमजान के दौरान धर्म की आड़ में चंदा इकट्ठा करने की इजाज़त थी।
जैश-ए-मोहम्मद ने भी कथित तौर पर दान देने वालों को रसीद जारी किए बिना पाकिस्तान में अपना फंड संग्रह जारी रखा। दान के अलावा, JeM ने ईद-उल-अज़हा की पूर्व संध्या पर क़ुर्बानी वाले जानवरों की खाल से भी धन इकट्ठा किया, जिससे उन्हें एक बड़ी रक़म मिली। 2018 में, JeM ने केवल इन जानवरों की खाल बेचकर 700 मिलियन रुपए (लगभग 3.9 मिलियन यूरो) धन इकट्ठा किया था।
रमजान के दौरान, इन इस्लामिक आतंकी संगठनों ने समुदाय विशेष से अल्लाह के नाम पर दिल खोलकर दान करने और कश्मीर में जिहाद के लिए दान करने और अमेरिका/ नाटो सेनाओं के ख़िलाफ़ अफ़गानिस्तान में जिहाद का समर्थन करने की अपील की थी। कश्मीर और अफ़गानिस्तान में जिहाद जैसे विभिन्न मुद्दों पर अल रहमत ट्रस्ट के विज्ञापन और लेखन, नियमित रूप से जैश-ए-मोहम्मद के अल क़लम अखबार में दिखाई देते हैं, जिसे मसूद अजहर का छोटा भाई संपादित करता है।
अल रहमत ट्रस्ट को विदेशों से, विशेष रूप से सऊदी अरब, यूएई, कुवैत और कतर से अपने धन का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त होता है। ये फंड ‘ज़कात’ के नाम पर या चैरिटी के काम के लिए इकट्ठा किया जाता है और अक्सर दानकर्ता इन देशों में रहने वाले पाकिस्तानी प्रवासी हैं। केवल 2018 में, JeM को इन दानों से लगभग 600 मिलियन रुपए (लगभग यूरो 3.3 मिलियन) मिलने की सूचना है।
इसके अलावा, पाकिस्तान के अंदर कई मदरसे न केवल वैचारिक प्रचार के केंद्र के रूप में कार्य करते हैं, बल्कि सभी प्रकार की आतंकी गतिविधियों के लिए प्रशिक्षण भी प्राप्त करते हैं, जो धीरे-धीरे आतंकियों के लिए धन इकट्ठा करने वाले समूहों में तब्दील हो जाते हैं। धन इकट्ठा करने वाले यह समूह पाकिस्तान में कराची लाहौर, फैसलाबाद और सियालकोट में सबसे अधिक हैं। इस्लामिक आतंकवाद, विशेष रूप से पाकिस्तान में राज्य के निधियों के अलावा मजहबी स्कूलों के माध्यम से वित्त पोषण किया जाता है।