J&K: प्रतिबंध के बावजूद अलगाववादी नेता गिलानी को चोरी-छिपे दी इंटरनेट सुविधा, BSNL के 2 कर्मचारी निलंबित

आखिर कश्मीरी अलगाववादियों का नेक्सस कितना बड़ा है?

बीएसएनएल ने अपने दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद राज्य में सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। अलगाववादियों व कई कश्मीरी नेताओं की मंशा पर पानी फेरने के लिए कई क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई थी। यह सब इसीलिए किया गया था ताकि हिंसा न भड़के। लेकिन, सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के दो कर्मचारियों ने अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी को इंटरनेट सुविधाएँ दी।

सैयद अली शाह गिलानी भारतीय सेना को भला-बुरा कहता रहा है और पाकिस्तान के गुण गाता रहा है। गिलानी के नाम वाले ट्विटर हैंडल से लगातार अफवाहें फैलाई जा रही थीं। इसके बाद भारत सरकार ने ट्विटर को ऐसे कई एकाउंट्स की सूची दी थी, जो जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तानी प्रोपेगंडा चला कर घाटी में हिंसा फैलाना चाह रहे थे। दो बीएसएनएल कर्मचारियों के निलंबन के बाद यह सवाल फिर से उठने लगा है कि पाकिस्तान परस्त अलगाववादियों का नेक्सस कितना बड़ा है और इसमें किस-किस स्तर के लोग शामिल हैं?

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इंटरनेट सेवाएँ प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद बीएसएनएल के उक्त दोनों कर्मचारियों की मदद से भारत-विरोधी एजेंडा चलाने वाला गिलानी 4 दिनों तक चोरी-छिपे इंटरनेट की सुविधा का लाभ उठाता रहा। ‘नेशन फर्स्ट’ में रणनीतिक मामलों के वरिष्ठ संपादक प्रमोद कुमार सिंह के अनुसार, गिलानी इंटरनेट के जरिए पाकिस्तानी आकाओं से लगातार संपर्क में था। वह भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा जम्मू-कश्मीर में शांति कायम रखने के प्रयासों को सफल होते देख कर निराश था।

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रणनीतिक मामलों के जानकार वकील दिव्य कुमार सोती ने इस ख़बर के सामने आने के बाद निलंबित किए गए बीएसएनएल कर्मचारियों के ‘इस्लामिक लिंक’ की जाँच कराने की माँग की है। वकील दिव्य सोती ने कहा है कि जाँच के निष्कर्ष को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। बताया जाता है कि गिलानी ने पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई के लोगों से भी संपर्क किया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया