अमेरिका की कोर्ट ने भारत सरकार को समन जारी किया है। समन में भारत सरकार से 21 दिनों के भीतर जवाब माँगा गया है। वांछित खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित दक्षिणी जिला न्यायालय में एक दीवानी मुकदमा दायर किया था। इसमें पन्नू ने भारत सरकार पर अपनी हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। इसे भारत ने ‘अनुचित और निराधार आरोप’ बताया है।
मुकदमे में भारत सरकार के अलावा भारत सरकार के कई महत्वपूर्ण अधिकारियों एवं लोगों के नाम भी शामिल हैं। इनमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) के पूर्व प्रमुख सामंत गोयल, R&AW एजेंट विक्रम यादव और भारतीय व्यवसायी निखिल गुप्ता का नाम शामिल है।
विदेश मंत्रालय ने गुरुवार (19 सितंबर 2024) को खालिस्तान समर्थक आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा भारत सरकार के खिलाफ ‘हत्या’ के प्रयास को लेकर दायर मुकदमे को ‘अनुचित और निराधार आरोप’ बताते हुए खारिज कर दिया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि अब जबकि मामला दर्ज हो चुका है, ऐसी स्थिति में भी भारत के विचार नहीं बदलेंगे।
विदेश सचिव ने पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले गुरुवार (19 सितंबर 2024) को कहा, “जैसा कि हमने पहले कहा है, ये पूरी तरह से अनुचित और निराधार आरोप हैं। अब चूँकि यह विशेष मामला दर्ज हो गया है, इससे अंतर्निहित स्थिति के बारे में हमारे विचार नहीं बदलेंगे। मैं केवल आपका ध्यान इस विशेष मामले के पीछे के व्यक्ति की ओर आकर्षित करना चाहूँगा, जिसका इतिहास सर्वविदित है।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं इस तथ्य को भी रेखांकित करना चाहूँगा कि वह (पन्नू) जिस संगठन का प्रतिनिधित्व करता है, वह एक गैरकानूनी संगठन है, जिसे 1967 के गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत ऐसा घोषित किया गया है। ऐसा भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने के उद्देश्य से राष्ट्र-विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में शामिल होने के कारण किया गया है।”
बता दें कि गुरपतवंत सिंह पन्नू ‘सिख फॉर जस्टिस’ नाम का एक अलगाववादी संगठन चलाता है, जो हमेशा भारत के खिलाफ प्रोपगेंडा फैलाता है। पन्नू भारत द्वारा घोषित एक आतंकवादी भी है। उसके पास अमेरिका और कनाडा की नागरिकता है। उस पर भारत और उसके हितों के खिलाफ साजिश रचने के कई आरोप पर हैं।
इससे पहले नवंबर में अमेरिकी न्याय विभाग ने पन्नू की हत्या की साजिश में कथित संलिप्तता के लिए एक भारतीय नागरिक के खिलाफ अभियोग पत्र जारी किया था। न्याय विभाग ने दावा किया था कि मैनहट्टन में संघीय अदालत में दायर अभियोग पत्र में बिना पहचान वाले एक भारतीय सरकारी कर्मचारी ने हत्या के लिए एक हत्यारे को नियुक्त करने के लिए निखिल गुप्ता नामक एक भारतीय नागरिक की भर्ती की थी।
न्याय विभाग ने कहा कि अभियोग में शामिल आरोप केवल आरोप हैं और जब तक दोषी साबित नहीं हो जाता, तब तक प्रतिवादी को निर्दोष माना जाता है। इस पर भारत ने अमेरिकी सरकार की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए एक उच्चस्तरीय जाँच समिति का गठन किया था। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत ऐसे इनपुट को गंभीरता से लेता है, क्योंकि ये राष्ट्रीय सुरक्षा हितों पर भी असर डालते हैं।