जैसी कि पूरे देश को उम्मीद थी, कॉन्ग्रेस ने चंद्रयान-2 की सफ़ल लॉन्चिंग होते ही उसका श्रेय लूटने के लिए प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को ‘पुनर्जीवित’ कर दिया। चंद्रयान अभी शायद पृथ्वी की कक्षा से निकला भी नहीं होगा कि कॉन्ग्रेस का ट्वीट आया:
This is a good time to remember the visionary move of India’s first PM Pandit Jawaharlal Nehru to fund space research through INCOSPAR in1962 which later became ISRO. And also Dr. Manmohan Singh for sanctioning the #Chandrayan2 project in 2008. pic.twitter.com/2Tje349pa0
— Congress (@INCIndia) July 22, 2019
अगर इनकी मानें तो चूँकि इसरो की पूर्ववर्ती संस्था ISPAR की स्थापना नेहरू ने की थी अतः इस सफ़लता का श्रेय भी आज के कॉन्ग्रेस के हिस्से जाएगा। इसके अलावा कॉन्ग्रेस ने कॉन्ग्रेसी प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा 2008 में चंद्रयान-2 मिशन अधिकृत किए जाने की याद भी दिलाई।
वैज्ञानिक का जवाब
जेएनयू के वैज्ञानिक डॉ. आनंद रंगनाथन ने कॉन्ग्रेस के इस प्रयास को ट्विटर पर ही आईना दिखाया। उन्होंने ट्वीट किया:
Absurd to credit Nehru. Might as well credit Hitler for the 1969 moon-landing, for it wouldn’t have been possible without von Braun & V2 technology that the Americans snatched as war-spoils.
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) July 22, 2019
Ideas need to be backed by contemporary, not historical figures. https://t.co/Be8rWECfYZ
बकौल रंगनाथन, अगर कॉन्ग्रेस चंद्रयान-2 का श्रेय नेहरू को देना चाहती है तो ऐसे तो अमेरिका के मानव को चन्द्रमा पर भेजने का श्रेय भी हिटलर को जाएगा। दरअसल हिटलर के नाज़ी वैज्ञानिकों ने मैक्सिमिलियन वॉन ब्रॉन नामक रॉकेट और एयरोस्पेस इंजीनियर के नेतृत्व में V2 तकनीक के रॉकेट विकसित किए थे। बाद में नाज़ियों को दूसरे विश्व युद्ध में हराए जाने के बाद यह तकनीक अमेरिका के हाथ लगी, जिसने इसका इस्तेमाल अपने अंतरिक्ष अभियान में किया था। रंगनाथ ने यह भी कहा कि विचारों को ऐतिहासिक नहीं, समकालीन व्यक्तित्वों द्वारा समर्थन किए जाने की ज़रूरत होती है।
रंगनाथन यहीं नहीं रुके। कॉन्ग्रेस पर हमला जारी रखते हुए उन्होंने आगे ट्वीट किया:
There is no such thing as historical enabling in Science and technology. Great research Institutes and centres of excellence can crumble within years, even months. Ideas are the product of a human mind not sanctioned buildings.
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) July 22, 2019
Science doesn’t live in the past. It isn’t History.
रंगनाथन ने कहा कि विज्ञान और तकनीक जैसे क्षेत्रों में ‘ऐतिहासिक सशक्तिकरण’ (historical enabling) नहीं होती, यानि इतिहास से इनकी शक्ति या प्रासंगिकता नहीं आती। बड़े-से-बड़े शोध संस्थान सालों नहीं, महीनों में समाप्त हो जाते हैं। विचार इंसान की बुद्धि से आते हैं, न कि इमारतों से।
मिशन शक्ति में भी आलोचना हुई थी
इसी साल मिशन शक्ति की सफ़लता का श्रेय भी कॉन्ग्रेस ने नेहरू के नाम पर लूटने की कोशिश की थी। उस समय भी इसकी काफ़ी आलोचना हुई थी।
नेहरूजी का देहांत 1964 में हुआ।भक्त मंडली 55 साल बाद #MissionShakti का श्रेय उन्हें दे रही है।
— Ashok Shrivastav (@ashokshrivasta6) March 27, 2019
आज की उपलब्धियों का श्रेय नेहरूजी को, तो #कश्मीर में सेना और निर्दोष लोगों के मारे जाने, चीन के विस्तारवाद और सुरक्षा परिषद में मसूद के बच निकलने के ज़िम्मेदार नेहरू जी क्यों नहीं ? pic.twitter.com/Y581CEQ131