शाह ने कहा कि भारत और पाकिस्तान का रिश्ता इस पर निर्भर करता है कि वो अपनी ज़मीन पर आतंकवाद को ख़त्म करता है या नहीं। अगर वो आतंकवाद फैलाने वाली रणनीति पर कायम रहता है तो उसका जवाब हम देंगे।
जेएनयू की छात्र नेता रहीं शेहला ने जम्मू कश्मीर की राजनीति में भी क़दम रखा था लेकिन अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के निरस्त होने के कारण उनकी राजनीतिक पारी चौपट हो गई। इसके लिए उन्होंने लम्बा-चौड़ा फेसबुक पोस्ट लिख कर मोदी सरकार पर निशाना साधा था।
सीएफआई से जुड़े लोगों पर अपने से परे विचार रखने वाले लोगों की हत्या के गंभीर आरोप हैं। बावजूद इसके सोशल मीडिया में नैतिकता बघारने वाले गोपीनाथन ने उसके कार्यक्रम में अपने विचार रखे।
नजीर वही सांसद हैं जिन्होंने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पेश किए जाने के दौरान पीडीपी के एक अन्य सांसद मीर मोहम्मद फैयाज के साथ विरोध स्वरुप विधेयक को फाड़ दिया था।
कश्मीर से अपनी सियासत चमकाने वालों से लेकर कई ऐसे वामपंथी तथाकथित बुद्धिजीवी, मनीषी और चिन्तक जो मानवाधिकार के नाम पर हजारों लोगों की नृशंस हत्या और दंगा-फसाद करने वालों को विशेष सुविधाएँ दिए जाने की वकालत करते हैं। अब वो ऐसा नहीं कर पाएँगे।
“कुल 307 ब्लॉकों में से निर्दलीय ने 217 ब्लॉक जीते, जबकि भाजपा को 81 ब्लॉक मिले। 1 ब्लॉक कॉन्ग्रेस के खाते में आए। वहीं 8 ब्लॉक पर जम्मू और कश्मीर नेशनल पैंथर्स (JKNPP) पार्टी ने जीत दर्ज की।”
"आर्टिकल 370 के खत्म होने के बाद से कहा जा रहा है कि प्रदेश की नौकरियाँ बाहरी राज्यों के लोगों को मिल जाएँगी। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि जम्मू-कश्मीर में उत्पन्न होने वाली हर एक नौकरी स्थानीय लोगों को ही दी जाएगी।"
J&K के डीजीपी ने कहा, विरोध-प्रदर्शन की अनुमति देने से पहले प्रशासन का ध्यान पूरी तरह शांति कायम करने पर है। उन्होंने कहा कि कुछ महिलाओं के हाथ में जो पोस्टर थे, वह बहुत अच्छे नहीं थे। निश्चित रूप से वे कानून और व्यवस्था के हित में नहीं थे।
सुरैया और साफिया के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन में शामिल महिलाएँ जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेश में बाँटने का विरोध कर रही थीं। फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला पहले से ही हिरासत में हैं।