बख्तियार खिजली को क्लीन-चिट देने के लिए और बौद्धों को सनातन से अलग दिखाने के लिए वामपंथी इतिहासकारों ने नालंदा विश्वविद्यालय को तबाह किए जाने का दोष हिन्दुओं पर ही मढ़ दिया। इसके लिए उन्होंने तिब्बत की एक किताब का सहारा लिया, जो इस घटना के 500 साल बाद लिखी गई थी और जिसमें चमत्कार भरे पड़े थे।
कोर्ट में यह केस 2022 में दो मुस्लिम महिलाओं की ओर से दायर किया गया था जिसपर सुनवाई करते हुए नौ सदस्यीय संघीय न्यायालय ने 8-1 के बहुमत से फैसला सुनाया।