याचिका में कहा गया था कि उक्त तहखाने में मूर्तिपूजा की जाती थी। अदालत ने माना कि दिसंबर 1993 में पुजारी सोमनाथ व्यास को तहखाने में घुसने से रोक दिया गया था।
मुस्लिम पक्ष इस मामले में 'वर्शिप एक्ट' का हवाला देते हुए कह रहा था कि पूजा-पाठ की अनुमति यहाँ नहीं दी जा सकती है। लेकिन, कोर्ट ने हिन्दू पक्ष की याचिका स्वीकार कर ली।
ASI की रिपोर्ट से हिंदू पक्ष का दावा मजबूत हो गया है। वकील विष्णु जैन ने कहा कि राम मंदिर के समय खुदाई की जरूरत पड़ी लेकिन ज्ञानवापी का तो ढाँचा ही सब बता रहा है।