Wednesday, May 1, 2024
Homeदेश-समाजदीवारों पर महादेव का नाम, तहखाने में देवी-देवता... हिंदू मंदिर पर ही खड़ा है...

दीवारों पर महादेव का नाम, तहखाने में देवी-देवता… हिंदू मंदिर पर ही खड़ा है ज्ञानवापी ढाँचा, जिसे पीढ़ियों से जानते हैं हम उसका प्रमाण ASI ने भी दिया

ज्ञानवापी ढाँचे के ASI सर्वेंक्षण के बाद कई बातों का खुलासा हुआ है। सामने आई 839 पेज की रिपोर्ट इशारा कर रही है कि ज्ञानवापी ढाँचे की जगह कभी बड़ा हिंदू मंदिर था। इसके प्रमाण वहाँ के खंभों, दीवारों और शिलापट से मिले हैं। कोर्ट ने ASI से कहा है कि वो इस रिपोर्ट की प्रतियाँ हिंदू-मुस्लिम दोनों पक्षों को दे।

ज्ञानवापी ढाँचे के ASI सर्वेक्षण के बाद कई बातों का खुलासा हुआ है। सामने आई 839 पेज की रिपोर्ट साफ इशारा कर रही है कि ज्ञानवापी ढाँचे की जगह कभी बड़ा हिंदू मंदिर था। इसके प्रमाण वहाँ के खंभों, दीवारों और शिलापट से मिले हैं। कोर्ट ने ASI से कहा है कि वो इस रिपोर्ट की प्रतियाँ हिंदू-मुस्लिम दोनों पक्षों को दे।

ASI रिपोर्ट आने के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने इस संबंध में मीडिया को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में मंदिर होने के 32 सबूत मिले हैं। सामने आई जानकारी के अनुसार

  • दीवारों पर कन्नड़, तेलुगु, देवनागरी और ग्रंथा भाषाओं में लेखनी मिली है।
  • सबसे बड़ी चीज जो इस रिपोर्ट में आई वो भगवान शिव के 3 नाम दीवारों पर लिखे मिले हैं- जनार्दन, रुद्र और ओमेश्वर।
  • ढाँचे के सारे खंभे भी गवाही दे रहे हैं कि वह पहले मंदिर का हिस्सा थे उन्हें मॉडिफाई करके वहाँ नए ढाँचे में शामिल किया गया।
  • ढाँचे की पश्चिमी दीवार से भी पता चलता है कि वो मंदिर की दीवार है जो 5 हजार साल पहले की नागर शैली में निर्मित है।
  • दीवार के नीचे 1 हजार साल पुराने अवशेष भी मिले हैं।
  • ये भी पता चला है कि ढाँचे से पहले मंदिर में बड़ा केंद्रीय कक्ष और उत्तर की ओर छोटा कक्ष था।
  • कुछ खंबों से हिंदू चिह्नों को मिटाने के भी प्रमाण मिले हैं।
  • इतना ही नही हनुमान जी और गणेश जी की खंडित मूर्तियाँ, दीवार पर त्रिशूल की आकृति भी मिली हैं। साथ ही तहखाने में भी हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ मिलीं।
  • यह भी पता चला कि ढाँचे का गुंबद महज 350 साल पुराना है जबकि उसके परिसर में मिलने वाले हिंदू साक्ष्य हजारों वर्ष पुराने हैं।
  • ढाँचे के निर्माण संबंधी एक शिलापट पर अंकित समय को मिटाने का भी प्रयास हुआ है।
  • ASI रिपोर्ट से निष्कर्ष आया है कि 2 सितंबर 1669 को मंदिर ढहा दिया गया था।

इस रिपोर्ट के सार्वजिनक होने के बाद मुस्लिम पक्ष ने इस मुद्दे पर कानूनी लड़ाई आगे बढ़ाने का ऐलान किया है। वहीं हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा है कि 839 पेज की रिपोर्ट में वजूखाने को छोड़कर हर कोने का एक-एक ब्‍योरा एएसआई ने लिखा है। रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि मंदिर तोड़कर ज्ञानवापी ढाँचा बनाया गया थी। इसलिए अब हिंदुओं को वहाँ पूजा-पाठ की अनुमति मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ढाँचे के भीतर वजूखाने में मिले शिवलिंग का भी एएसआई सर्वे होने के बाद साफ हो जाएगा कि वो कोई फव्वारा नहीं शिवलिंग ही है। इसके अलावा भी कई सबूत मिलेंगे जो हिंदुओं के पक्ष को मजबूत करेंगे।

बता दें कि 18 दिसंबर को ASI रिपोर्ट में सील बंद लिफाफे में स्टडी रिपोर्ट सौंपी थी। इसी दिन हिंदू पक्ष की ओर से निष्कर्ष सार्वजनिक करने की माँग की गई थी लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इसपर आपत्ति जताई। 24 जनवरी को वाराणसी कोर्ट ने कहा कि सर्वे की कॉपियाँ हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष को दिया जाए। कोर्ट ने कहा था कि रिपोर्ट मिलने के बाद दोनों पक्ष इस संबंध में 6 फरवरी तक आपत्ति दर्ज करवा सकते हैं।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

मनोज तिवारी-रवि किशन के गाने शेयर करने वाले राज बब्बर के बलात्कार वाले दृश्यों पर चुप: कॉन्ग्रेस ने गुरुग्राम से बनाया है उम्मीदवार, PM...

एक तो ऐसा दृश्य है जिसमें राज बब्बर सूट-बूट में कुर्सी पर बैठे हुए हैं और एक लड़की को एक-एक कर अपने कपड़े उतारने के लिए मजबूर कर रहे हैं। मनोज तिवारी और रवि किशन के गानों से नेहा सिंह राठौड़ को आपत्ति है, लेकिन राज बब्बर के दृश्यों को लेकर उन्होंने चूँ तक नहीं किया।

जिंदा होते चंदा बाबू तो तेजाब से भी तेज उन्हें गलाता ज्ञानेश्वर की थेथरई, आतंकी की बेवा के लिए बिछने वाले को पत्रकार क्यों...

अपने आपको पत्रकार कहने वाले ज्ञानेश्वर ने शहाबुद्दीन का जिस तरह से महिमामंडन किया है उसे अगर चंदाबाबू देखते तो शायद उनके दुख की सीमा नहीं होती।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -