भारतीय इतिहास लेखन के “Big Four” रोमिला थापर, इरफ़ान हबीब, आरएस शर्मा और डीएन झा ने इस मामले में प्रपंच रचा। डॉ. जैन ने बताया कि इन्हें पता था कि अदालत ने पोल खुल सकती है तो पेशी के लिए अपने छात्रों को भेजते रहे और बाहर अपनी लेखनी से झूठ की पालकी ढोते रहे।
अयोध्या मामले की सुनवाई 40 दिन चली है जो न्यायिक इतिहास में दूसरी सबसे लंबी सुनवाई है। दशकों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित राम मंदिर मसले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के लिए अब आपको बस 23 दिन और इंतजार करना पड़ेगा।
स्क्रॉल ने अपनी ख़बर की हेडलाइन और सोशल मीडिया में शेयर टेक्स्ट ऐसा रखा, जिससे धवन की पहचान उजागर न हो। इसी तरह 'आउटलुक' ने भी सोशल मीडिया पर टेक्स्ट में कहीं भी धवन या सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड का जिक्र नहीं किया।
अयोध्या मामले में फ़ैसले की घड़ी समीप आने के साथ ही यूपी सरकार भी एक्शन के मोड में आ गई है। अधिकारियों को अपने मुख्यालय में ही रहने के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस को किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया गया है।
शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान हिन्दू महासभा ने कुछ कागज़ात और नक़्शे दिए थे। अदालत में ही धवन ने उन्हें एक-एक कर फाड़ना शुरू कर दिया। जब मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने उन्हें टोका तो उन्होंने कुछ और पन्ने फाड़ डाले।
दावे से पीछे हटने के बदले में सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने तीन शर्तें रखी है। उसने कहा है कि एएसआई के नियंत्रण में जितने भी धार्मिक स्थल हैं, उनकी स्थिति की जाँच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट एक समिति बनाए।
मध्यस्थता पैनल ने कहा है कि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड विवादित स्थल पर अपने दावे से पीछे हट गया है। इस संबंध में शीर्ष अदालत में वह हलफनामा दायर कर सकती है। हालॉंकि बोर्ड किन शर्तों पर राजी हुआ है, इस संबंध में अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
पराशरण ने कहा- यह राम का जन्मस्थान है, इसे बदला नहीं जा सकता। किसी को भी भारत के इतिहास को तबाह करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। कोर्ट को इतिहास की गलती को ठीक करनी चाहिए।
"हम हिंदुस्तान के वफादार नागरिक हैं। विवाद पसंद नहीं करते। हम मुस्लिम हैं। हमारा मजहब कहता है कि जिस मुल्क में रहो उसके वफादार बनो, उसका कानून मानो। कौन-क्या कह रहा है उससे हमारा कोई लेना-देना नहीं है।"
प्रतिनिधिमंडल में संत समिति, अयोध्या के अध्यक्ष महंत कन्हैयादास; मणिरामदास चानवी के महंत कमलनयन दास; श्री रामचरित्रमण भवन के महंत अवधबिहारी दास; और स्थानीय भाजपा नेता वैश्य विनोद जायसवाल शामिल थे।