History

शिवाजी से सीखा, 60 साल तक मुगलों को हराते रहे: यमुना से नर्मदा, चंबल से टोंस तक औरंगज़ेब से आज़ादी दिलाने वाले बुंदेले की कहानी

उनके बारे में कहते हैं, "यमुना से नर्मदा तक और चम्बल नदी से टोंस तक महाराजा छत्रसाल का राज्य है। उनसे लड़ने का हौसला अब किसी में नहीं बचा।"

NCERT किताबों में बदलाव, भारतीय इतिहास कॉन्ग्रेस कर रहा विरोध… जबकि RTI में खुलासा कि बिना तथ्यों के पढ़ाया

“वर्तमान एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में सुधार लाने के नाम पर पेश की जा रही गलत सूचना और पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण से आईएचसी बहुत परेशान है।”

‘ब्राह्मणों की बच्चियों को छीन कर लाता, उन्हें मुस्लिम बना बड़ा करता था’ – टीपू सुल्तान के हरम में 600 महिलाओं की कहानी

'इस हरम में टीपू सुल्तान और उसके अब्बा की 600 महिलाएँ थीं, जिनकी रखवाली के लिए नपुंसकों को लगाया गया था। इनमें कई ब्राह्मणों और राजाओं की बेटियाँ थी, जिन्हें…

हिन्दुओं के हत्यारे गाजी मियाँ के दर पर ओवैसी और ओमप्रकाश राजभर: राजा सुहेलदेव ने किया था अंत, चेले कहते थे ‘बालेमियाँ कृष्ण’

भारत के गर्व राजा सुहेलदेव ने जैसे ही गाजी सैयद सालार मसूद के विरुद्ध मोर्चा संभाला, हिन्दू सेना एक हो गई और उनके भीतर नया जोश भर गया।

वेद-वेदाङ्ग और उपनिषदों का ज्ञान, सरस्वती सभ्यता का वर्णन: UGC के नए इतिहास सिलेबस में बाबर-खिलजी आक्रांता

भारतीय ऐतिहासिक साहित्य के अंतर्गत वेद-वेदाङ्ग, उपनिषद, जैन-बौद्ध साहित्य और पुराणों के बारे में भी पूरा ज्ञान दिया जाएगा। ब्राह्मी, खरोष्ठी, पाली, प्राकृत और तिगलारी के साथ-साथ संस्कृत भाषा का…

‘स्वराज्य का सरखेल’ जिसने ब्रिटिश, पुर्तगाल, डच और मुगलों को कई बार धूल चटाई: 17 बड़े युद्ध जीते, समुद्र में 40 साल बजा डंका

सन् 1715 में चार्ल्स बून को मुंबई का गवर्नर बना कर भेजा गया और उसने प्रण लिया कि वो कान्होजी आंग्रे की ताकत को ख़त्म कर देगा। अभिमानी बून ने…

‘हिन्दू हूँ, पुनर्जन्म लेकर स्वतंत्र भारत में फिर आऊँगा’: गीता पाठ कर फाँसी के फंदे पर झूलने वाला ‘काकोरी’ का नायक

जब वे जेल में थे तो अंग्रेजों ने डर के मारे 2 दिन पहले ही फाँसी दे दी। उनकी मृत्यु के बाद भी अंग्रेज भयभीत थे।

200 साल पहले ‘जहर’ था टमाटर, मुकदमा चला, लाल रंग भी मुसीबत: जानिए, कैसे हुई रसोईघर में एंट्री

आज रसोई में खास जगह बना चुके टमाटर को 28 जून 1820 को बिना जहर वाली सब्जी घोषित किया गया था।

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय: प्रेसीडेंसी कालेज से BA करने वाले वह पहले भारतीय, अंग्रेजी नौकरी और उसी के विरोध में ‘वंदे मातरम्’

सरकारी नौकरी में होने के कारण बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय किसी सार्वजनिक आन्दोलन में प्रत्यक्षतः भाग नहीं ले सकते थे, पर उनका मन...

राजा-रानी की शादी हुई, दहेज में दे दिया बॉम्बे: मात्र 10 पाउंड प्रति वर्ष था किराया, पुर्तगाल-इंग्लैंड ने कुछ यूँ किया था खेल

ये वो समय था जब इंग्लैंड में सिविल वॉर चल रहा था। पुर्तगाल को स्पेन ने अपने अधीन किया हुआ था। भारत की गद्दी पर औरंगज़ेब को बैठे 5 साल…