शैव सम्प्रदाय की शुरुआत करने वाले आदि शंकराचार्य और वैष्णव सम्प्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य दोनों ने ही यहाँ महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त की थीं। शंकराचार्य यहीं सर्वज्ञपीठम पर बैठे तो रामानुजाचार्य ने यहाँ ब्रह्म सूत्रों पर अपनी समीक्षा लिखी थी।
कश्मीर के रहने वाले डॉ अयाज़ रसूल नाज़की 2007 में शारदा पीठ गए थे। डॉ नाज़की की माँ के पूर्वज हिन्दू थे इसलिए वे अपनी जड़ों को खोजने शारदा पीठ गए थे। गत 60 वर्षों में वे पहले और अंतिम भारतीय कश्मीरी थे जो शारदा पीठ गए थे।